पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण बड़ी तेजी से फैल रहा है. रोजाना सैकड़ों नए मामले सामने आ रहे हैं. संक्रमण की रफ्तार ने सरकार के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग की परेशानी भी बढ़ा दी है. हालांकि, अब तक कोरोना संक्रमित पाए गए मरीजों में किसी तरह की गंभीर समस्या नहीं पाई गई है. ऐसे में उन्हें होम आइसोलेशन में ही रहने को कहा गया है.
इधर, घर में आइसोलेटेड कोविड पेशेंट को किसी तरह की कोई दिक्कत ना आए इस बाबत भी स्वास्थ्य विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है. इस संबंध में सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने शनिवार को एबीपी न्यूज से कहा कि इस बार ट्रेंड थोड़ा बदला दिख रहा है. कोरोना की तीसरी लहर में होम आइसोलेशन में ज्यादा लोग रह रहे हैं.
चूंकि, ऑक्सीजन लेवल अधिकतर लोगों की ठीक है. लेकिन अगर वे कोरोना संक्रमित हैं तो प्रोटोकॉल के तहत जो आवश्यक दवाइयां उन्हें देनी है, वो उन तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य का कोई व्यक्ति जब कोरोना टेस्ट के लिए अपना सैंपल देता है तो उसे एक फॉर्म भरना होता है.
ऐसे में मेरा उन लोगों से निवेदन है कि वो अपना पूरा पता फॉर्म में भरें. ताकि उनकी रिपोर्ट अगर पॉजिटिव आए तो उनके पास जो हमारा मेडिकल किट है, वो डाक के माध्यम से पहुंच जाए. उन्होंने कोरोना किट दिखाते हुए कहा कि इस लिफाफे पर उनके फॉर्म से लिए गए पते को भरकर उन्हें किट भेज दिया जाएगा.
उन्होंने बताया कि किट में जो दवाइयां हैं, व्यस्क लोगों के लिए है. किट में इन दवाओं को खाने की विधि भी दी गई है. ये किट सील पैक है. इसके बाद भी इसके ऊपर से सेलो टेप दिया जाता है, ताकि ये सुरक्षित तरीके से उस व्यक्ति तक पहुंच जाए, जिसे इसकी जरूरत है. इसके ऊपर ये भी लिखा हुआ है कि यदि सील फटा हो तो, उस किट का इस्तेमाल ना करें.
किट में मौजूद हैं ये दवाइयां
मंत्री ने बताया कि किट में पैरासिटामोल, एजिथ्रोमाइसिन, विटामिन-बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन-सी और जिंक की टेबलेट हैं. कोरोना प्रोटोकॉल के तहत ये दवाइयां कोरोना मरीजों को देना आवश्यक है. किट पर साफ शब्दों में लिखा हुआ है, ‘जीवंत बिहार का सपना हो साकार’.
मंगल पांडेय ने कहा, ” इस किट में पहचान और प्रबंधन के लिए एक पुर्जा है, जिसमें सारी जानकारियां दी गई हैं. कोरोना संक्रमित होने दौरान व्यक्ति को घर में क्या करना है और क्या नहीं करना है, थर्मामीटर का प्रयोग कैसे करना है, ऑक्सीमीटर का उपयोग कैसे करना है, बॉडी को कैसे लेटाना है, हर बात इसके अंदर लिखी हुई है. वहीं, जो जिला स्तर पर हमारा मेडिकल हेल्पलाइन नंबर है, वो नंबर भी दिया गया है. ताकि मरीजों को किसी तरह की परेशानी ना हो.”