कोरोनाः तीसरी लहर में यदि ये हालात रहे तो चुनाव आयोग को सोचना चाहिए

कानपुर

एक्जीक्यूटिव एडिटर महेश शर्मा की आईआईटी के प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल से खास बातचीत

महेश शर्मा /कानपुर: कोरोना महामारी का डाटा एनालिसिस करने वाले आईआईटी (कानपुर) के प्रोफेसर पद्मश्री माणिंद्र अग्रवाल ने beforeprint.in से बातचीत के दौरान माना फरवरी की शुरुआत में कोरोना चरम पर हो सकता है। तीसरी लहर में यह चरम (पीक) तब घातक कहा सकता है जब अस्पतालों में कोरोना से इलाज को भरती (हॉस्पिटलाइजेशन) लोगों का सही आंकड़ा मिले और मौत के आंकड़े पिछले लहर के हिसाब न हो। यानी हॉस्पिटलाइजेशन के मामले सामने आए। चुनाव के दौरान कोरोना की तीसरी लहर का चरम होने पर चुनाव आयोग को क्या करना चाहिए?

इस सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि यदि यह हालत बनती है तो चुनाव आयोग को विचार करना चाहिए। फिलहाल तीसरी लहर में अस्पतालों में भरती होने वालों की संख्या कम है। सिंगल डोज और डबल डोज लगवाने वालों की संख्या भी बहुत है।

संक्रमित लोगों की गणना की आथंटिसिटी पर उन्होंने बताया कि करीब 92 प्रतिशत से ज्यादा संक्रमित लोगों का रिकार्ड डाटा तैयार किया जा रहा है। इसलिए संक्रमित दर और नये मामलों की गणना सही है। बता दें कि पहले भी फरवरी में तीसरी लहर के चरम पर होने की बात कही जा रही थी। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक तीसरी लहर का असर तेजी से पड़ रहा है। कल यानी संडे को ही 1.79 लाख नये मामले थे। तीसरी लहर का चरम आता है तो चार से आठ लाख कोरोना के मामले आने की आशंका है।

प्रोफेसर माणिंद्र अग्रवाल आईआईटी (कानपुर) में कंप्यूटर साइंस और मैथमेटिक्स विभाग में प्रोफेसर हैं। प्रो.अग्रवाल कंप्यूटर मॉडल से महामारी के व्यवहार पर बताते हैं कि 15 मार्च के आसपास देश में तीसरी लहर पार होने की भी संभावना है। उन्होंने यह भी बताया कि तीसरी लहर मुंबई में 15 जनवरी को चरम पर होने की संभावना है। दिल्ली में यह दोहराया जा सकता है। वह कहते हैं कि इसका ग्राफ जितनी तेजी से उठा है वैसे ही गिरने की भी संभावना है। इन हालातों में महीने भर में कोरोना चरम पर हो सकता है। मार्च के मध्य तक यह तेजी से उतार पर होगी।

गणना की प्रामणिकता पर वह बताते हैं कि महामारियां बेतरतीब होती हैं पर उसमें भी कुछ मानदंड होते हैं। बहुत साफ है कि संक्रमित व्यक्ति असंक्रमित के संपर्क में आएगा तो संक्रमण आगे बढ़ाएगा। इसी आधार पर हमारा गणना मॉडल काम करता है। प्रोफेसर कहते हैं कि देश की डाटा की क्वालिटी कई देशों से बेहतर है। हेल्थ मिनिस्ट्री की भूमिका प्रशंसनीय है क्योंकि उन्होंने बेहतर क्वालिटी का डेटा उपलब्ध कराया है। मौत के आंकड़ों प्रोफेसर कहते हैं कि पिछली गणनाओं इतनी अफरातफरी रही कि सही आंकड़ा नहीं मिल पाया। लॉकडाउन नियंत्रण का कारगर हथियार रहा है।

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