गाजियाबाद : भाजपा ने खेला पुराने मोहरों पर दांव, पांचों सीट पर सिटिंग विधायकों को टिकट

Politics उत्तर प्रदेश

गाजियाबाद/बीपी प्रतिनिधि। यूपी विधानसभा चुनाव में गाजियाबाद की पांचों सीट पर भाजपा पुराने मोहरों पर ही दांव खेलने की घोषणा कर दी है। पांचों सीट पर सिटिंग विधायकों को टिकट देकर तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया गया है। विधानसभा के पिछले चुनाव में जिले की पांचों सीट पर भाजपा के विधायक चुने गए थे। पांचों करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं और तीन ग्रेजुएट व दो पोस्ट ग्रेजुएट हैं।

विजेता पर भरोसा : गाजियाबाद शहर से राज्यमंत्री अतुल गर्ग, साहिबाबाद से सुनील कुमार शर्मा, मुरादनगर से अजित पाल त्यागी, मोदीनगर से डा. मंजू शिवाच और लोनी से नंद किशोर गुर्जर भाजपा के टिकट पर फिर से चुनाव लड़ेंगे। ये पांचों साल 2017 के चुनाव में इन्हीं सीट से भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे।

भाजपा से पांचों सीट पर 70 लोगों ने टिकट मांगा था। टिकट फाइनल होने को लेकर तमाम चर्चाएं थीं। दावेदारों में गाजियाबाद शहर से मयंक गोयल, साहिबाबाद से राजेश्वर सिंह, मुरादनगर से अमरीश त्यागी, मोदीनगर से बृजपाल तेवतिया की चर्चाएं जोरों पर थीं। इस घोषणा से सिटिंग विधायकों ने राहत की सांस ली है तो वहीं दावेदारों को निराशा मिली है।

अतुल गर्ग :

पूर्व महापौर स्वर्गीय दिनेश चंद्र गर्ग के बड़े बेटे अतुल गर्ग ने गाजियाबाद के एमएमएच कालेज से बीकाम की डिग्री ली। आरएसएस और भाजपा के विभिन्न संगठनों में रहे अतुल गर्ग को पिछले चुनाव में जीत के बाद योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशाधन का राज्यमंत्री बनाया गया। मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार में अतुल गर्ग को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई थी।

अजित पाल त्यागी : पूर्व मंत्री और छह बार विधायक रहे राजपाल त्यागी के बेटे अजित पाल त्यागी 2017 के चुनाव से डेढ़ माह पूर्व ही भाजपा में आए थे। पिता ने भी बेटे को जिताने के लिए भाजपा ज्वाइन कर ली थी। विधायक के मामा नरेशपाल त्यागी की हत्या के आरोप में अजित के बड़े भाई गिरीश जेल में बंद हैं। विवाद के बावजूद अजित पाल त्यागी की व्यक्तिगत छवि पर कोई दाग नहीं लगा। यही वजह है कि संगठन ने उन पर दोबारा भरोसा जताया है।

नंद किशोर गुर्जर

पोस्ट ग्रेजुएट नंद किशोर गुर्जर छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने अपनी ही पार्टी के दिग्गजों की भविष्णवाणी को गलत साबित करते हुए पिछले चुनाव में लोनी सीट से जीत हासिल कर दिग्गजों की जमानत जब्त कराई थी। विधानसभा में अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठने वाले नंद किशोर गुर्जर का विवादों से गहरा नाता रहा है। लोनी क्षेत्र में अपेक्षित काम न कराने के आरोपों के बाद भी संगठन ने नंद किशोर गुर्जर को उम्मीदवार घोषित किया है।

डॉ. मंजू शिवाच

पेशेवर चिकित्सक डा. मंजू शिवाच का मोदीनगर में पति के साथ अस्पताल चलाती हैं। वह गैर राजनीतिक परिवार से हैं। समाज सेवा से उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और पिछले चुनाव में भाजपा के टिकट पर उन्होंने मोदीनगर से जीत दर्ज की थी। हालांकि भाजपा में कभी किसी बड़े पद पर नहीं रहीं। बेदाग छवि के कारण संगठन ने उन्हें दोबारा मौका दिया है।

सुनील शर्मा

बीए एलएलबी पास सुनील शर्मा इकलौते भाजपाई हैं, जिन्हें संगठन की ओर से नियुक्त करने के बजाय कार्यकर्ताओं ने चुनावी प्रक्रिया में चुना था। गाजियाबाद सीट से 2007 में पहली बार चुनाव में उतरे सुनील शर्मा ने जीत दर्ज कर इस सीट पर भाजपा की वापसी कराई थी। 2012 में साहिबाबाद सीट पर अमरपाल से हार मिली तो 2017 में उन्होंने बदला लिया और दोबारा विधायक बने थे। भाजपा के कद्दावर नेताओं में शामिल सुनील को उनकी अच्छी छवि के लिए चौथी बार टिकट मिला है।

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