-गोविंदनगर और सीसामउ की सीट एलान के हुआ था विरोध
-निर्णय पर अंगुली उठाने वाले सीनियर और युवा हुए थे बागी
-हाईकमान तक पंहुचा था विरोध का स्वर
-संगठन ने पूरे प्रकरण की जानकारी बडे नेताओं को पहुँचायी
-बागियों को तेवर नरम करने के लिए लिया गया ऑनलाइन
-कुछ नेताओं को दिल्ली तलब कर दी गयी घुट्टी
अखिलेश मिश्रा/कानपुर- गोविंदनगर व सीसामउ विधानसभा उम्मीदवारों के नाम की घोषणा होते ही दोनों विधानसभाओं के युवा व वरिष्ठ नेता विरोध के मूड में आ गये। आनन-फानन संगठन की कार्यशैली पर टिप्पणी होने लगी। विरोध के स्वर फूटते ही वस्तुस्थिति की जानकारी संगठन को मिली। संगठन के पदाधिकारियों ने स्थिति को भांपते हुए सारी जानकारी दिल्ली हाईकमान को दी। कांग्रेस के सीनियर नेता और हाईकमान ने बागी नेताओं को ऑनलाइन लेकर कार्यवाही का ऐसा चाबुक चलाया कि दो दिन बाद सभी विरोधियों के तेवर ठंडे हो गये। इतना ही नहीं सभी घोषित उम्मीदवारों के जनसम्पर्क अभियान में जुटकर ऑन रोड आ गये।
महानगर की दस विधानसभाओं में से गोविंदनगर और सीसामउ की सीटों पर संगठन को उम्मीदवार तय करने में काफी दिक्कत का सामना करना पडा। दोनों ही सीटों पर समीकरण का बडा रोल था। जिसके कारण तय होना टेढी खीर हो गया था। गोविंदनगर से दो दिग्गज ब्राहम्ण नेता टिकट मांग रहे थे। उन दोनों नेताओं में एक युवा चेहरा था, जबकि दूसरा फेस पुराना कांग्रेसी का था। लगभग इन्हीं दोनों में से किसी एक को टिकट मिलना भी तय माना जा रहा था। लेकिन पिछले बार उपचुनाव की युवा रनर महिला उम्मीदवार भी प्रबल दावेदार थी।
यहीं नहीं उनकी दिल्ली दरबार तक पहुंच भी बहुत मजबूत थी। जिसका परिणाम भी साकारात्मक हुआ। वहीं, सीसामउ सीट पर पुराने संगठन के पदाधिकारी भी अपने पंसदीदा उम्मीदवार को टिकट दिलाने के लिए ऐडी चोटी का जोर लगाएं थे। इतना ही नहीं उनके साथ पुराने कांग्रसियों की एक टीम थी। लेकिन दोनों ही विधानसभाओं के नेताओं को झटका लगने से विरोध के स्वर उभर आएं। जिसको समय रहते हाइकमान ने कार्यवाही या घुट्टी के बल पर अपडेट किया। लेकिन अभी-अभी भी इन सीटों पर चुनाव लडने वाले उम्मीदवारों को जनता से कम अपनों से ज्यादा खतरा नजर आ रहा है।
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