बक्सर/विक्रांत। बिहार 2022 में लगभग 12.83 करोड़ की आबादी के साथ एक भूमि से घिरा हुआ राज्य है। यह राज्य कृषि आधारित राज्य है जिसमें हिमालय से जुड़ी 7 प्रमुख नदियां उत्तर से गंगा नदी तक बहती हैं। अधिकांश जनसंख्या निवास अपनी पवित्रता के कारण गंगा नदी के तट पर है, लेकिन हाल के दिनों में मानव आबादी के आर्सेनिक के संपर्क में आने के कारण इस क्षेत्र में बीमारी का बोझ कई गुना बढ़ गया है।
उक्त बातें महाबीर कैंसर संस्थान पटना के वैज्ञानिक डा.अरूण कुमार ने गुरूवार को कैंसर दिवस पर बिफोर प्रिंट के साथ वार्तालाप के दरम्यान कहीं। आगे डा.कुमार ने बताया कि लंबे समय तक एक्सपोजर में यह आर्सेनिक प्रदूषण कैंसर जैसी बीमारी पैदा कर रहा है।वर्तमान में, बिहार राज्य में, लगभग 80,000 से 90,000 नए कैंसर के मामले सामने आते हैं, जिनमें से हर साल 50,000 रोगियों की मृत्यु हो जाती है।
प्रदेश में कभी कभी करीब साढ़े तीन लाख कैंसर के मरीज मिल जाते हैं।। उन्होने कहा कि यह कैंसर रोग बोझ अपेक्षाकृत राज्य के उत्तरी जिले में कई गुना बढ़ रहा है। कई वैज्ञानिक इस बीमारी के कारणों का पता लगाने में जुटे हैं। कई वैज्ञानिकों के समूह द्वारा यह बताया जा रहा है कि मनुष्यों के लिए आर्सेनिक विषाक्तता बीमारी का कारण बनने वाले महत्वपूर्ण कारकों में से एक हो सकती है।
इसलिए बिहार के आर्सेनिक उजागर क्षेत्र में रोग के बोझ को नियंत्रित करने की अत्यधिक आवश्यकता है। सरकार को उजागर क्षेत्र में कठोर कैंसर जांच से गुजरने की आवश्यकता है।बक्सर/विक्रांत।बिहार 2022 में लगभग 12.83 करोड़ की आबादी के साथ एक भूमि से घिरा हुआ राज्य है। यह राज्य कृषि आधारित राज्य है जिसमें हिमालय से जुड़ी 7 प्रमुख नदियां उत्तर से गंगा नदी तक बहती हैं।
अधिकांश जनसंख्या निवास अपनी पवित्रता के कारण गंगा नदी के तट पर है, लेकिन हाल के दिनों में मानव आबादी के आर्सेनिक के संपर्क में आने के कारण इस क्षेत्र में बीमारी का बोझ कई गुना बढ़ गया है। उक्त बातें महाबीर कैंसर संस्थान पटना के वैज्ञानिक डा.अरूण कुमार ने गुरूवार को कैंसर दिवस पर बिफोर प्रिंट के साथ वार्तालाप के दरम्यान कहीं। आगे डा.कुमार ने बताया कि लंबे समय तक एक्सपोजर में यह आर्सेनिक प्रदूषण कैंसर जैसी बीमारी पैदा कर रहा है।
वर्तमान में, बिहार राज्य में, लगभग 80,000 से 90,000 नए कैंसर के मामले सामने आते हैं, जिनमें से हर साल 50,000 रोगियों की मृत्यु हो जाती है। प्रदेश में कभी कभी करीब साढ़े तीन लाख कैंसर के मरीज मिल जाते हैं।। उन्होने कहा कि यह कैंसर रोग बोझ अपेक्षाकृत राज्य के उत्तरी जिले में कई गुना बढ़ रहा है।
कई वैज्ञानिक इस बीमारी के कारणों का पता लगाने में जुटे हैं। कई वैज्ञानिकों के समूह द्वारा यह बताया जा रहा है कि मनुष्यों के लिए आर्सेनिक विषाक्तता बीमारी का कारण बनने वाले महत्वपूर्ण कारकों में से एक हो सकती है। इसलिए बिहार के आर्सेनिक उजागर क्षेत्र में रोग के बोझ को नियंत्रित करने की अत्यधिक आवश्यकता है। सरकार को उजागर क्षेत्र में कठोर कैंसर जांच से गुजरने की आवश्यकता है।
यह भी पढ़े…