सेंट्रल डेस्क/ बीपी टीम : आज हाईकोर्ट में कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब के मुद्दे को लेकर सुनवाई होनी है। उडुपी जिले के ही एक और संस्थान में इससे पहले विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। यहां छात्रों का एक समूह केसरिया गमछे पहनकर कॉलेज कैंपस में पहुंचे और जमकर नारेबाजी की।
प्रदेश के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने हाल ही में हिजाब पहनने को लेकर हुए विवाद में अदालत का आदेश आने तक शांति बनाए रखने की अपील की थी। आज मणिपाल स्थित एमजीएम कॉलेज में उस समय तनाव काफी बढ़ गया जब भगवा शॉल ओढ़े विद्यार्थियों और हिजाब पहनी छात्राओं के दो समूहों ने एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की। बुर्का और हिजाब पहनीं कॉलेज की छात्राओं के एक समूह ने कॉलेज परिसर में प्रवेश किया और सिर पर स्कार्फ़ पहनने के अधिकार के समर्थन में नारे लगाते हुए परिसर में विरोध प्रदर्शन किया।
वही भगवा शॉल पहने कुछ लड़के-लड़कियां भी कॉलेज पहुंचे और दूसरे समूह के खिलाफ नारेबाजी की। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कॉलेज के कर्मचारियों ने गेट पर ताला लगा दिया जबकि छात्रों के दोनों समूह गेट के पास इंतजार कर रहे थे। कॉलेज के प्राचार्य देवीदास नायक और शिक्षकों ने छात्रों को समझाने की कोशिश की, लेकिन दोनों पक्षों ने मानने से इनकार कर दिया। मौके पर भारी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद हैं, छात्र समूह ‘हमें न्याय चाहिए’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे लगा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार कॉलेज प्रबंधन जिला प्रशासन से बातचीत कर रहा है।
आज कर्नाटक उच्च न्यायालय में उडुपी स्थित पूर्व विश्वविद्यालय महाविद्यालय में हिजाब पहनने की अनुमति देने के लिए विद्यार्थियों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई होने की सम्भावना है। कुंदापुर स्थित एक निजी महाविद्यालय की दो और छात्राओं ने भी याचिका दायर कर इसी तरह की अनुमति देने का अनुरोध किया है। याचिका में छात्राओं ने आरोप लगाया कि महाविद्यालय ने विधायक के कहने पर ‘हिजाब’ के साथ परिसर में उनके प्रवेश पर रोक लगा दी है. यह याचिका सुहा मौलाना और ऐशा अलीफा नामक छात्राओं ने दायर की है जो बीबीए पाठ्यक्रम में पंजीकृत हैं।
याचिका में लड़कियों ने रेखांकित किया कि जब उन्होंने महाविद्यालय में प्रवेश लिया तब हिजाब को लेकर कोई विवाद नहीं था। उनका कहना है कि प्रधानाचार्य ने तीन फरवरी को अचानक हिजाब पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि सरकार ने कक्षा के भीतर हिजाब पहनने पर रोक लगाई है। याचिका में छात्राओं ने कहा कि जब उनके अभिभावक प्रधानाचार्य से मिले तो उन्होंने बताया कि विधायक के निर्देश पर यह कदम उठाया गया है।