स्टेट डेस्क: भोजपुरी को लेकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार का दर्द एक बार फिर खुलकर सामने आया है। उन्होंने कहा है कि बिहार सरकार भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग एक बार फिर पुरजोर ढंग से उठाएगी ताकि इसे अधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त हो सके।
‘जनता दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम में पत्रकारों से बात करते हुए सीएम नीतीश ने कहा-‘भोजपुरी को अधिकारिक भाषा का दर्जा दिए जाने की मांग हम कई वर्षों से उठा रहे हैं। राज्य मंत्रिपरिषद ने केंद्र को इस सम्बन्ध में 2017 में ही एक प्रस्ताव भेजा था। जल्द ही इम दोबारा इस मांग को उठाएंगे।’ सीएम ने यह प्रतिक्रिया ‘अतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ के मौके पर कहीं।
इसके साथ सीएम नीतीश ने पड़ोसी राज्य झारखंड में सरकार द्वारा धनबाद और बोकारो जिलों की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से भोजपुरी और मगही को हटाने के हालिया फैसले को गलत बताया। उन्होंने कहा कि भोजपुरी सिर्फ बिहार की ही नहीं है यह उत्तर प्रदेश और झारखंड में भी बोली जानेवाली भाषा है। उन्होंने कहा कि भोजपुरी का बड़ा एरिया है।
इसका अंतरराष्ट्रीय महत्व भी है। हम बार-बार कह रहे हैं कि भोजपुरी सिर्फ बिहार की ही भाषा नहीं है। भोजपुरी उत्तर प्रदेश में भी है और झारखण्ड में तो है ही। बिहार-झारखण्ड तो पहले एक ही था। उन्होंने कहा कि अभी झारखण्ड में जो हुआ वो बहुत गलत है।