Bihar: आरसीपी सिंह को जदयू की एकजुटता को लेकर बार-बार क्यों देनी पड़ रही है सफाई!

पटना

-जदयू में कोल्ड वार: आरसीपी समर्थकों की लगातार हो रही है कटाई-छंटाई, चुन-चुन कर हो रही है कार्रवाई!

हेमंत कुमार/पटना : अपने समर्थकों की लगातार हो रही ‘कटाई-छंटाई’ के बीच केंद्रीय इस्पात मंत्री और जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने फिर सफाई दी है कि जदयू में कोई विवाद नहीं है, पार्टी एकीकृत है. अब सवाल उठता है कि आरसीपी को लगातार यह कहने की जरूरत क्यों हो रही है कि पार्टी में सब ठीक-ठाक है! उनका यह बयान ऐसे समय में आया है, जब उनके प्रति निष्ठावान कहे जाने जदयू के कई नेताओं का ओहदा छीन लिया गया है या उनकी हैसियत कम कर दी गयी है.

अंदर की कथा तो और गंभीर है. जानकारों का कहना है कि खुद नीतीश कुमार ने आरसीपी की लगाम टाइट कर दी है. बात पुरानी नहीं है. दस फरवरी को आरसीपी ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. जिसमें एक मार्च को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जन्म दिन के मौके पर सदस्यता अभियान चलाने का ऐलान किया गया था. एक साल तक चलने वाले इस अभियान का नेतृत्व खुद आरसीपी करने वाले थे.

इस दौरान बिहार में चार लाख सदस्य बनाने की भी घोषणा आरसीपी ने की थी. जानकारों की माने तो नीतीश कुमार ने आरसीपी को बुलाकर समझा दिया कि पार्टी के कामों में आप दखल मत दीजिए.सदस्यता अभियान चलाना और पार्टी के कार्यक्रम तय करने का अधिकार अध्यक्ष को है. नीतीश की नसीहत का ही असर था कि आरसीपी एक मार्च को नालंदा में अपने गांव मुस्तफापुर में थे.उन्होंने वहीं नीतीश के जन्म दिन का केक काटा.

तीन रोज पहले 3 मार्च को प्रो सुहेली मेहता को प्रदेश प्रवक्ता पद से हटा दिया गया. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा के हस्ताक्षर से जारी वह पत्र प्रो मेहता ने अपने फेसबुक वाल पर पोस्ट किया है. उसके ऊपर अपनी प्रतिक्रिया भी लिखी है…

अध्यक्ष जी का फैसला मंजूर…लेकिन…..सवाल बरकरार.. आखिर क्यों..??

‘आदरणीय नीतीश कुमार जी के किसी भी सिपाही को, उनके नेतृत्व में बिहार केलिए किये गए काम को जनता के बीच रखने के लिए और पार्टी से लोगों को जोड़ने के लिए किसी पद की जरूरत नहीं..अपने नेता के नीति, सिद्धांत और आदर्शों की जो बात मीडिया के माध्यम से अभी तक जनता के सामने कहती आई, अब वो बातें प्रत्यक्ष रूप से होंगी..!!’

प्रो मेहता पटना विश्वविद्यालय के मगध महिला कॉलेज में सहायक प्राध्यापक हैं. वे आरसीपी की वफादार मानी जाती हैं. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के फैसलों को चुनौती देने के लिए इन दिनों चर्चा में हैं. ललन के खिलाफ मीडिया में चुटकी भी लेती रहती हैं. आरसीपी के वफादार कहे जाने वाले अनिल कुमार पार्टी के मुख्यालय प्रभारी थे. पार्टी उन्हें मुख्यालय प्रभारी की जिम्मेदारी से मुक्त कर चुकी है.अब वह प्रदेश महासचिव हैं. पार्टी की युवा शाखा के अध्यक्ष रहे अभय कुशवाहा तो दिल्ली शिफ्ट हो गये हैं. आरसीपी ने उनको निजी सचिव बना दिया है. कुशवाहा तब चर्चा में आये थे, जब मंत्री बनने के बाद दिल्ली से पटना लौटने पर आरसीपी के स्वागत में लगे होर्डिंग और बैनर से ललन सिंह का फोटो और नाम गायब कर दिया गया था. स्वागत की तैयारियां अभय कुशवाहा ने की थी.

तीन दिन पहले जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्यालय के नाम पर जिलों के पार्टी पदाधिकारियों , नेताओं और कार्यकर्ताओं को अनधिकृत निर्देश जारी होने की सूचना पर आठ लोगों के नामों की सूची जारी कर कहा कि इनके अलावा कोई भी व्यक्ति निर्देश जारी नहीं करेगा. जानकारों का कहना है कि ये निर्देश आरसीपी को टाइट रखने की खातिर जारी किये गये हैं.

पांच मार्च को भोजपुर और रोहतास के दौरे पर गये आरसीपी से जब पत्रकारों ने पार्टी में विवाद को लेकर सवाल किया तो उनका जवाब था, ‘जदयू में कोई विवाद नहीं है. पार्टी एकीकृत है. हम सबके नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उमेश कुशवाहा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं । जदयू का पूरा नाम जनता दल यूनाइटेड है और नाम के अनुसार ही पार्टी नीतीश कुमार के नेतृत्व में एकीकृत है।’