महाराजाधिराज! आशीष दीजिये, निरपेक्ष बना रहूं : कुलसचिव

दरभंगा बिहार

दरभंगा/बीपी टीम। हे महाराजाधिराज! आप दानवीर कर्ण के माफिक रहे हैं। संस्कृत व संस्कृति के साथ संस्कार समृद्धि में भी आपका योगदान अविस्मरणीय है। आप जहाँ भी हैं, हम पर अपनी कृपा व आशीष बरसाते रहें। हमें इतनी शक्ति व समझ रहे कि हम सदा निरपेक्ष बने रहें और किसी को हमारे कार्यों से अनावश्यक दुखी न होना पड़े। कुलसचिव के रूप में मैं अपने कर्तव्यों पर एकदम खड़ा उतरूं, बस यही आशीर्वाद मांगने आया हूँ।

यह उदगार संस्कृत विश्वविद्यालय के नवनियुक्त रजिस्टार प्रो. सत्येंद्र नारायण सिंह के हैं जो उन्होंने परिसर में स्थापित महाराजाधिराज सर डॉ. कामेश्वर सिंह की प्रतिमा पर पूरे समर्पण भाव से पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद शीश नवाकर व्यक्त किया। इसके बाद ही उन्होंने कार्य के पहले दिन की विधिवत शुरुआत की। जाहिर है मौके पर मौजूद सभी कर्मी कुलसचिव की इस सोच व सहृदयता के कायल हो गए।

उल्लेखनीय है कि महाराजाधिराज द्वारा दिए गए अपने अमूल्य भवन विलास पैलेस व अकूत अचल संपत्ति के दान के बाद ही संस्कृत विश्वविद्यालय अस्तीत्व में आ सका। उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि इसके बाद वे कुलपति डॉ. शशिनाथ झा से उनके चेम्बर में मिले और उन्हें मुंगेर विश्वविद्यालय से लाये आधुनिकतम डायरी भेंट करते हुए काम करने की औपचारिक इजाजत मांगी।

इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. सिंह ने कहा कि यह है तो महज डायरी जिसे कुलपति को सौंप कर हम अपनी तरफ से गारंटी देना चाहता हूं कि भूलकर भी अगर हमसे काम के दौरान कोई चूक हो जाय तो वे अवश्य हमें आगाह करेंगे और हम भी अपनी ओर से चेयर को पूर्ण समर्पण व समर्थन देंगे। यह डायरी भविष्य के लिए गवाही है। आह्लादित कुलपति ने मिलजुलकर कार्य कर विश्वविद्यालय को नए मुकाम तक ले जाने की वकालत की।

इसी क्रम में वेद विभाग के प्रध्यापक डॉ सत्यवान कुमार, शिवाकांत मिश्र ,भवेश झा समेत अन्य कर्मियों द्वारा वेदोच्चारण के बीच कुलसचिव ने अपने चेम्बर में कुर्सी संभाली। इसके साथ ही प्रतिकुलपति को भी डायरी भेंट करते हुए नववर्ष की बधाई के साथ साथ दोनों अभिभावकों-कुलपति एवं प्रतिकुलपति से समन्वित आशीर्वाद की प्रार्थना की।

ताकि निर्विवाद रूप से विश्वविद्यालय का कार्य सम्पादन हो सके। फिर सभी कर्मियों व पदाधिकारियों से परिचय हुआ। यहां स्थापना शाखा के कर्मियों को सञ्चिका में की जानेवाली टिपण्णी व विभागीय पत्र जारी करने के तौर तरीके पर उन्होंने फोकस किया।

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