अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की प्रणेता क्लारा जेट्किन

बिहार मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर/ब्रह्मानन्द ठाकुर। आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। दुनिया के देशों मे महिलाओं पर केन्द्रित आज अनेक कार्यक्रम होंगे। महिला सशक्तिकरण ,समान अधिकार दिलानै , लैंगिक भेद- भाव   मिटाने ,शोषण – अत्याचार से महिलाओं को मुक्ति दिलाने की घोषणाएं होंगी। इससे सम्बंधित अनेक योजनाएं और कार्यक्रम लागू किए जाने का संकल्प भी लिया जाएगा। सरकारी ,गैरसरकारी संस्थाओं मे इस दिवस पर अनेक आयोजन होंगे। अखबारों  मे अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के आयोजन से जुडी खबरें  आकर्षक लोगो के साथ छपेगी।

लेकिन आज की नई पीढी के बहुत ही कम लोगों को पता है कि अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस आयोजन का इतिहास 111 साल पुराना है और यह इतिहास एक जाबांज क्रांंतिकारी जर्मन महिला , जिसका सम्पूर्ण जीवन संघर्षों  का रहा , क्लारा जेट्किन से जुडा है। इन्ही के प्रयास और संघर्ष के परिणाम स्वरूप 8 मार्च का दिन दुनिया के देशों में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। पहला अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च  1911 को   आस्ट्रेलिया ,डेनमार्क ,जर्मनी और स्विटजरलैंड मे मनाया गया था।

8 मार्च को महिला दिवस मनाने की आधिकारिक स्वीकृति 1975  मे संयुक्तराष्ट्र संघ से मिली। क्लारा का जन्म 15 जुलाई ,1857 को जर्मनी के एक गांव बिडराउ मे हुआ था जहां कपडा मिलों के बुनकर और गरीब किसान रहते थे।क्लारा के  पिता  गाट फ्राइड एक स्कूल में शिक्षक थे और मां जोसफाइन बिटेल  तत्ककालीन पूंजीवाद के लोकप्रिय नारे वाले फ्रांसीसी क्रांंतिकारी विचारधारा समता ,स्वतंत्रता और भाईचारे से प्रभावित थी।वह महिलाओं की सम्पूर्ण आर्थिक समानता की पक्षधर थी। उसने 1860 में पहली बार अपने गांव मे महिलाओं की शिक्षा समिति स्थापित की थी।

उन्होने बचपन से ही अपनी बेटी क्लारा को महिला अधिकारों के प्रति रुचि जागृत किया और इसके लिए उसे सचेत किया। यहीं से उसके भावी जीवन की दिशा तय हुई। 1878 मे क्लारा ने प्रथम श्रेणी से स्नातक की परीक्षा पास की। उच्च शिक्षा के दौरान शिक्षा ग्रहण करते हुए वह ओसिफ जेट्किन के सम्पर्क मे आयी। वे रूस से प्रवासी बनकर जर्मनी आए थे और क्रांतिकारी गतिविधियों के साथ-साथ लकडी का काम भी करते थे। वे एक सुलझे हुए मार्क्सवादी थे।

उन्होने क्लारा को मार्क्स ,एंगेल्स की पुस्तकें पढने  को दी। इन पुस्तकों को पढते हुए क्लारा मे वेज्ञानिक समझ विकसित होने लगी। 1880 मे जब जेट्किन को देश निकाला दे दिया गया तो क्लारा उनके साथ आस्ट्रेलिया आ गई। वहां उसने एक अमीर फैक्ट्री मालिक के बच्चों को पढाने लगी। जेट्किन से विवाह किया और वह क्लारा से क्लारा जेट्किन बन गई। फिर दोनो स्वीटजरलैंड गये और समाजवादी आंदोलन से जुड गये। 1889 मे उनके पति जेट्किन की मृत्यु हो गई। क्लारा जेट्किन की क्रांंतिकारी गतिविधि पूर्ववत जारी रही।

इसके बाद वास्तील के पतन के 100 वीं सालगिरह पर 1889 मे पेरिस मे होने वाले दूसरे इंटरनेशनल के स्थापना सम्मेलन की तैयारी समिति की अध्रक्ष चुनी गई। इस सम्मेलन के लिए चुने गये 19  देशों के 400 प्रतिनिधियों मे 8 महिलाएं थीऔ जिसमे एक क्लाराक्जेट्किन भी थी। इस बीच  संयुक्त राष्ट्र अमरीका के न्युयार्क शहर में 8 मार्च ,1908 को वहां के कपडा उद्योगों मे कार्यरत महिला मजदूरों का विशाल प्रदर्शन हुआ था। 

वे महिलाएं वोट के अधिकार की मांग कर रहीं थीं। वे अपना यूनियन बनाने की भी बात कह रही थीं। क्लारा जेट्किन को भी इस प्रदर्शन की जानकारी हुई। दूसरे इंटरनेशनल का महासम्मेलन 1910 मे कोपेनहेगेन में हुआ। क्लारा उस सम्मेलन मे सचिव चुनी गई। इस सम्मेलन मे क्लारा जेट्किन ने एक बार्षिक समाजवादी महिला सम्मेलन नियमित आयोजित करने और उसकी तिथि 8 मार्च रखने का प्रस्ताव किया।

वह प्रस्ताव उस सम्मेलन मे सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ और हर साल 8 मार्च को सभी देशों मे अन्तर्राष्ट्रीय महिला सम्मेलन आयोजित करने  का निर्णय लिया गया। तब से  हर साल 8 मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।यह बात दीगर है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1975  मे  अन्तर्राष्ट्रीय यहिला दिवस घोषित किया।

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