मुजफ्फरपुर/ब्रह्मानन्द ठाकुर। जिला बाल संरक्षण इकाई, मुजफ्फरपुर के तत्वावधान में आज बुधवार को मुजफ्फरपुर जिलान्तर्गत विभिन्न पुलिस थानों में कार्यरत सभी बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों एवं विशेष किशोर पुलिस इकाई का एकदिवसीय उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन होटल मिलन, कलमबाग चौक, मुजफ्फरपुर में किया गया।
उदय कुमार झा, सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई ने कार्यक्रम में भाग लेने वाले वरीय पदाधिकारियों एवं सभी बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों का स्वागत किया एवम कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि विगत तीन वर्षों में इस प्रकार की यह तीसरी कार्यशाला है l उन्होंने चाइल्ड फ्रेंडली पुलिसिंग एवम जेजे एक्ट के अनुरूप विधि विरूद्ध बालकों के साथ अपनाई जानी वाली प्रक्रियाओं के अनुपालन के संबंध में सभी उपस्थित पुलिस पदाधिकारियों से अनुरोध किया।
कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ मुजफ्फरपुर के प्रधान दण्डाधिकारी ,सभी सदस्यगण, किषोर न्याय परिषद्; पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय), सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई; एवं अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। प्रशिक्षण के प्रारम्भ में बाल संरक्षण के प्रति संवेदनशील होने का संदेश देने के साथ पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय)-सह-प्रभारी पदाधिकारी, विशेष किशोर पुलिस इकाई, मुजफ्फरपुर द्वारा प्रशिक्षण में बतायी गयी बातों को कर्तव्य निर्वहन के दौरान व्यवहार में लाने का निदेश उपस्थित सभी बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों को दिया गया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में वीडियो प्रस्तुति के पश्चात् किशोर न्याय (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 के विधि-विवादित बालकों से संबंधित विभिन्न प्रावधानों की जानकारी प्रमोद कुमार महता, प्रधान दण्डाधिकारी, किशोर न्याय परिषद्, मुजफ्फरपुर द्वारा दी गयी। उनके द्वारा ‘विधि विवादित बालकों द्वारा किये गये आपराधिक कृत्यों के आधार पर 3 श्रेणियों में विभाजित करते हुए बालकों के वादों के निष्पादन की प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से बताया गया।
उनके द्वारा बताया गया कि छोटे-मोटे एवं गम्भीर अपराध के कारित बालकों के विरूद्ध मामला दर्ज नहीं किया जाना है तथा बालकों के विरूद्ध प्राथमिकी भी दर्ज नहीं किया जाना है। सिर्फ जघन्य अपराध के कारित बालकों के विरूद्ध किये जाने का प्रावधान है। बालकों के हित को ध्यान में रखकर ही बालकों को बाल देखरेख संस्थान में आवासित किये जाने हेतु किशोर न्याय परिषद् समक्ष उपस्थापित किया जाना विधिसम्मत है।
किशोर न्याय परिषद् के समक्ष ससमय उपस्थापित किये जाने वाले सामाजिक पृष्ठभूमि प्रतिवेदन सामाजिक पृष्ठ भूमि प्रतिवेदन एवं सामाजिक अन्वेषण प्रतिवेदन की महत्ता के बारे में भी बताया गया। किशोर न्याय (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 में निहीत प्रावाधानों के अधीन किशोर न्याय परिषद् द्वारा वादों के निष्पादन की प्रक्रिया एवं समय सीमा के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी गयी। प्रशिक्षण के क्रम में प्रधान दण्डाधिकारी द्वारा सभी थानों में बाल मित्र परिवेश का निर्माण करने हेतु पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) से अनुरोध किया गया।
प्रशिक्षण के दौरान माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीष, मुजफ्फरपुर द्वारा प्रशिक्षण में दी गयी जानकारी को अपने कर्त्तव्य के दौरान उपयोग में लाने का निदेश उपस्थित बाल कल्याण पुलिस अधिकारी को दिया गया। माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश, मुजफ्फरपुर के संबोधन के पश्चात् राकेश कुमार झा (वरिष्ठ परामर्शी, यूनिसेफ एवं समाज कल्याण निदेशालय) द्वारा उपस्थित सभी बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारीयों को प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षण में किशोर न्याय (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 मे ‘देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले’ तथा ‘विधि विवादित बालकों’ के देखरेख और संरक्षण हेतु वर्णित प्रावधानों की विस्तृत जानकारी देते हुए बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी एवं विशेष किशोर पुलिस इकाई के कर्त्तव्यों की विस्तृत जानकारी दी गयी। साथ ही बालकों से संबंधित मामलों को निष्पादित करने के क्रम में किशोर न्याय परिषद्, बाल कल्याण समिति, विशेष किशोर पुलिस इकाई एवं जिला बाल संरक्षण इकाई समिति से समन्वय स्थापित करने की बातें बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी को बतायी गयी।
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उन्मुखीकरण-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन एवं श्रीमती गुंजन कुमारी, विधि-सह-परिवीक्षा अधिकारी, जिला बाल संरक्षण इकाई, मुजफ्फरपुर द्वारा किया गया। अन्त में चन्द्रदीप कुमार, बाल संरक्षण पदाधिकारी (गैर-संस्थागत देखभाल), मुजफ्फरपुर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिए जाने के बाद प्रशिक्षण-सह उन्मुखीकरण कार्यक्रम का विधिवत समापन किया गया।