कानपुर/बीपी प्रतिनिधि। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के बायोलाजिस्ट और प्रोफेसर अरुण कुमार शुक्ला को विज्ञान के प्रतिष्ठित खोसला राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार पिछले दिनों आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रो. एके चतुर्वेदी ने दिया।
गौरतलब है कि प्रो. अरुण ने तीन नोबेल पुरस्कार विजेताओं के मार्गदर्शन में शिक्षा ग्रहण की थी और उन्होंने शोध के जरिए बताया कि कैसे चिकित्सकीय रूप से निर्धारित दवाएं बीमारियों से परस्पर क्रिया करती हैं। वर्तमान में प्रो. शुक्ला आइआइटी में बायोसाइंस एंड बायोइंजीनियरिंग विभाग में जाय गिल चेयर प्रोफेसर हैं। डा. शुक्ला ने जीपीसीआर की संरचना, कार्य और विनियमन को समझने के लिए शोध किया है। जीपीसीआर लगभग हर शारीरिक प्रक्रिया में जटिल रूप से शामिल हैं। दवाएं इन रिसेप्टर्स के माध्यम से ही चिकित्सकीय प्रभाव डालती हैं।
डा. शुक्ला के शोध ने बताया है कि कैसे चिकित्सकीय रूप से निर्धारित दवाएं बीमारियों के साथ परस्पर क्रिया करती हैं और मानव शरीर में उनके रिसेप्टर्स के कार्य को नियंत्रित करती हैं। विभाग ने हाल ही में सिंथेटिक प्रोटीन जैसे एंटीबाडी टुकड़े तैयार किए हैं, जिनका उपयोग जीपीसीआर सक्रियण की निगरानी और सिग्नलिंग में किया जा सकता है।
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