-बढ़ी हुई कीमतें अविलम्ब वापस लेने की मांग की
मुजफ्फरपुर/ब्रह्मानन्द ठाकुर। एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) के महासचिव प्रभास घोष ने आज बयान जारी कर पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्य मे वृद्धि किए जाने की निंदा की है। प्रेस को जारी एक बयान मे उन्होने कहा है कि जैसा कि आशंका थी, पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के कुछ ही समय के भीतर, भाजपा के नेतृत्ववाली केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में क्रमशः 84 और 83 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है, जबकि घरेलू इस्तेमाल के एलपीजी सिलेंडर की कीमत में एक झटके में 50 रुपये की वृद्धि हुई है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी के झूठे बहाने पर लोग विश्वास करने वाले नहीं हैं, क्योंकि हकीकत में इसकी कीमत 135 डॉलर से गिरकर 100 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आ गयी है। ईंधन के शुल्क में यह वृद्धि आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में और इजाफा करेगी। दरअसल, मुद्रास्फीति नियंत्रित करने और लोगों को राहत देने के लिए अनेक अर्थशास्त्री लंबे समय से पेट्रोलियम उत्पादों पर पहले से लगाये गये भारी करों को कम करने की मांग करते आ रहे हैं।
लेकिन फासीवादी निरंकुश भाजपा सरकार पहले से ही तबाह लाखों मेहनतकशों के जीवन में और तबाही लाने के लिए स्पष्ट तौर पर आमादा है, ताकि उन कॉरपोरेट दिग्गजों के मुनाफे में वृद्धि सुनिश्चित की जा सके, जिन्हें महामारी के दौरान भी विशाल धन-दौलत हासिल करने की छूट दिये जाने के बावजूद उन्होंने कौड़ी भर भी अतिरिक्त कर का भुगतान नहीं किया, जबकि अप्रत्यक्ष कर का बोझ बेशर्मी से निर्धन आम जनता पर थोपा जाता है।
हम आम जनता पर इस बेवजह आर्थिक हमले का पुरजोर विरोध करते हैं और बढ़ाये गये शुल्कों को तत्काल वापस लेने की मांग करते हैं। हम पीड़ित देशवासियों से इस सच्चाई को आत्मसात करने का भी आह्वान करते हैं कि केवल सही क्रांतिकारी आंदोलन के तहत ताकतवर संगठित जनवादी आंदोलन ही इस निरंकुश सरकार को बेशर्मी से एक के बाद एक जनविरोधी नीतियों को अपनाने से रोक सकता है।
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