–जिला मुख्यालय में सेमिनार तो प्रखण्डों पर विभिन्न गतिविधियों द्वारा मनाया गया विश्व यक्ष्मा दिवस…
– इन्वेस्ट टू एंड टीबी-सेव लायिव्स” होगी इस वर्ष की थीम
2025 तक जिला सहित देश को यक्ष्मा मुक्त करने का है लक्ष्य..
बिहारशरीफ/अविनाश पांडेय: विश्व यक्ष्मा दिवस पर गुरुवार को सुबह-सुबह जिला मुख्यालय की सड़कें“जन-जन की यही पुकार, टीबी मुक्त अपना बिहार” , टीबी हारेगा –देश जीतेगा”” जैसे नारों से गूँजता दिखा। अवसर था सदर अस्पताल स्थित एएनएम स्कूल की छात्राओं द्वारा निकाली गयी प्रभात फेरी का जिसके द्वारा न सिर्फ वो जिले को यक्ष्मा मुक्त करने का संकल्प लेती दिखीं बल्कि राहगीरों को रोग के लक्षणों और उससे बचने के उपाय समझाती भी दिखी।
डॉ राम कुमार द्वारा हरी झंडी दिखा कर रैली को रवाना किया गया. यह रैली शहर के विभिन्न चौराहों से होते हुए सदर अस्पताल वापस पहुँचने तक एक सभा में तब्दील हो चुकी थी। जिसे संबोधित करते हुये डॉ. कुमार ने टीबी उन्मूलन एवं जागरूकता विषय पर विस्तार से बताया। उन्होने कहा वर्ष 2025 तक सरकार द्वारा पूर्ण रूप से टीबी मुक्त भारत निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। निर्धारित लक्ष्य को हर हाल में पूर्ण रूप से सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक किया जाएगा।
सेमिनार के जरिये जागरूकता का संदेश :
यक्ष्मा दिवस के अवसर पर सदर अस्पताल स्थित सभागार में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें एएनएम स्कूल की छात्राओं के संग प्रभारी यक्ष्मा रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. विवेक कुमार, प्रभारी सिविल सर्जन सह अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. विजय कुमार सिंह एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे।
इस अवसर पर डॉ. विजय सिंह ने बतया, इस वर्ष के विश्व टीबी दिवस की थीम “इन्वेस्ट टू एंड टीबी-सेव लायिव्स” रखी गयी है. यह थीम सही अर्थों में तात्कालिकता को दर्शाता है और टीबी को खत्म करने के प्रयासों में निवेश करने की आवश्यकता का बोध कराता है. अधिक से अधिक टीबी रोगियों की पहचान एवं उनके ईलाज में सभी का सहयोग टीबी उन्मूलन का मूलमंत्र है. टीबी उन्मूलन अभियान को सफल बनाने में विभाग के कर्मियों के साथ साथ आम लोगों की सहभागिता अति आवश्यक है।
टीबी लाइलाज नहीं, पर समय पर जांच के साथ इलाज शुरू कराना जरूरी…
डॉ. विवेक कुमार ने टीबी के प्रारम्भिक लक्षणों की जानकारी देते हुये बताया कि यह रोग लाइलाज नहीं है। किन्तु, समय पर जाँच और जाँच के पश्चात चिकित्सकों के सलाहानुसार इलाज शुरू कराना जरूरी है। क्योंकि, शुरुआती दौर में ही इलाज शुरू कराने से इस बीमारी को आसानी के साथ मात दी सकती है।
इसके लिए सरकार द्वारा स्थानीय स्तर पर समुचित जाँच और इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित की गई। इसलिए, तमाम जिलेवासियों से अपील है कि लक्षण महसूस होने पर तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में जाकर जाँच कराएं और जाँच के पश्चात चिकित्सा परामर्श के अनुसार अपना इलाज भी शुरू कराएं।
इलाज के दौरान बेहतर पोषण के लिए दी जाती है सहायता राशि
डॉ. कुमार ने आगे बताया कि टीबी के मरीजों को इलाज के लिए खर्च की चिंता करने की जरूरत नहीं है। सरकार के द्वारा टीबी इलाज को सहायता राशि दी जाती है। चिह्नित टीबी के मरीजों को उपचार के दौरान उनके बेहतर पोषण के लिए प्रति माह निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये की सहायता राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे खाते में भेजी जाती है।