राज्य स्तरीय कृषि, उद्यान, हाड्रोपोनिक्स, डेयरी, मखाना-सह-मतस्य, पशुपालन एवं खाद्य तकनीकी पर आधारित प्रदर्शनी में कृषि महाविद्यालय ने किया उत्कृष्ट प्रर्दशन…
पूर्णिया/राजेश झा : बिहार राज्य के 110 वें स्थापना दिवस के शुभअवसर पर जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम अन्तर्गत बिहार सरकार द्वारा तीन दिवसीय राज्य स्तरीय किसान मेला -सह-प्रदर्शनी का आयोजन गांधी मैदान, पटना में किया गया। जिसमें डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पुसा, अंतर्राष्ट्रीय संस्थान बीसा एवं अन्य संस्थानों के साथ-साथ बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के प्रशासनीक नियंत्रण में कार्यरत भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ ने अपने स्टॉल पर विगत 12 वर्षों में विकसित की गई कृृषि के आधुनिक तकनीक का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
मुख्य रूप से महाविद्यालय द्वारा मखाना पर चल रहे अनुसंधान के द्वारा महाविद्यालय द्वारा विकसित प्रजाति सबौर मखाना-1, मखाना उत्पादन तकनीक, महाविद्यालय द्वारा विकसित मखाना में कीट प्रबंधन एवं मखाना-सह-मत्स्यपालन पर मॉडल के रूप में बिहार के विभिन्न जिलों एवं राज्यों से आये हुए किसानांे, कृषि वैज्ञानिकों, प्रसार कार्यकर्ताओं राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय निजी कम्पनियों तथा उद्यमियों के बीच काफी चर्चित रहा।
मेले के दौरान कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ के स्टॉल पर तकनीकी जानकारी प्राप्त करने के लिए मेले में उपस्थित किसानो की भीड़ लगातार तीन दिनों तक बनी रही, कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ का स्टॉल किसान मेला-2022 के मुख्य आकर्षण का केन्द्र बना रहा। मेले के प्रथम दिन मुख्य अतिथि बिहार सरकार के माननीय कृषि मंत्री श्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह, कृषि सचिव डा. एन. श्रवण कुमार, उद्यान निदेशक श्री नंदकिशोर, विशेष सचिव कृषि श्री रविन्द्र राय के अलावा बिहार सरकार के कृषि के अन्य राज्य स्तरीय पदाधिकारियों ने भ्रमण किया।
मेले के दुसरे दिन माननीय मुख्य मंत्री बिहार सरकार के परामर्शी एवं पूर्णियाँ जिले के पूर्व जिला पदाधिकारी पूर्णिया ने कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ के स्टॉल का भ्रमण किया और उन्होंने मखाना अनुसंधान एवं विकास के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि जब हम पूर्णियाँ जिले में कार्यरत थे तो उस समय मखाना अनुसंधान एवं विकास के कार्य की शुरूआत हुई और आज वैज्ञानिकों द्वारा विकसीत मखाना आधारित तकनीक किसानों विशेषकर उत्तरी बिहार के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
माननीय मुख्य मंत्री बिहार सरकार की मखाना अनुसंधान एवं विकास के कार्यों में विशेष रूचि दिखाते हैं और हमेशा चर्चा करते रहते हैं कि मखना ही एक ऐसा बिहार का व्यंजन है जो पुरे विश्व की थाली में आसानी से पहुंचाया जा सकता है साथ ही साथ मखाना फसल के माध्यम से बिहार के बेकार पड़े चौर/जलजमाव क्षेत्रों का विकास कर किसानों की सामाजिक एवं आर्थिक उन्नती के साथ-साथ स्वरोजगार एवं उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा सकता है। मेले के तीसरे दिन बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के माननीय कुलपति डा॰ अरूण कुमार के साथ निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ॰ आर॰ के॰ सोहाने, निदेशक अनुसंधान निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र डा. पी.के. सिंह, प्राचार्य बिहार कृषि महाविद्यालय, सबौर डा. एस. एन. सिंह, अधिष्ठाता स्नातकोत्तर डा. आर. पी. शर्मा, समंबध निदेशक प्रसार शिक्षा डा. आर. एन. सिंह, एंव अन्य अतिथियों में निदेशक बामेती डा. जितेन्द्र प्रसाद, निदेशक बसोका, डा. पंकज आदि ने भी स्टॉल का अवलोकन कर तकनीकी जानकारी से अवगत होकर सराहना की।
राज्य स्तर के तृस्तरीय निर्णायक मण्डल के सदस्यों ने बिहार के विभिन्न कृषि संस्थानों की तकनीकों का मूल्यांकण करते हुए बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर, भागलपुर के सभी महाविद्यालयों जैसे बिहार कृषि महाविद्यालय, सबौर, भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ, उद्यान महाविद्यालय, नूरसराय नालंदा, मण्डन भारती कृषि महाविद्यालय, सहरसा, डॉ कलाम कृषि महाविद्यालय, किशनगंज, वीर कुँवर सिंह कृषि महाविद्यालय, डुमरॉव, बक्सर सभी महाविद्यालयों में कृषि, उद्यान, दुग्ध विज्ञान एवं मत्स्यकी आदि का मूल्यांकन करने के बाद भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ को तकनीकी प्रदर्शन एवं किसानों के फीडबैक के आधार पर प्रथम पुरस्कार हेतु चयनित किया। कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के अन्य महाविद्यालयों में होने वाली विभिन्न गतिविधियों के प्रदर्शन में हमेशा प्रथम स्थान पर रहता है।
समापन -सह- पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में कृषि सचिव डा. एन. श्रवण कुमार ने पुरस्कार पाने वाले प्रतिभागियों को बधाई देते हुए मेले में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप में सामिल सभी को धन्यवाद भी दिए।
इस अवसर पर महाविद्यालय के सह अधिष्ठाता-सह-प्राचार्य एवं नोडल पदाधिकारी डा॰ पारस नाथ, बिहार दिवस-2022 के कोऑरडिनेटर डा0 पंकज कुमार यादव एवं मखाना वैज्ञानिक डा॰ अनिल कुमार आदि की सक्रीय भूमिका रही। इस अवसर पर महाविद्यालय के कर्मचारियों अनुसंधान सहायक राकेश कुमार, रंजीत कुमार, आदि ने कृृषि के आधुनिक तकनीक का प्रदर्शन में सक्रीय भूमिका रही।