किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए बाजार आधारित खेती करने की नितांत आवश्यकता है : डॉ. रियाज अहमद

बिहार सासाराम

सासाराम/अरविंद कुमार सिंह। कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास द्वारा बिक्रमगंज के कार्यालय परिसर में एक दिवसीय किसान मेला का आयोजन किया गया। किसान मेला में पांच सौ महिला एवं पुरुष कृषकों ने भाग लिया। किसान मेले का उद्घाटन वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय, डुमराव के प्राचार्य डॉ. रियाज अहमद ने किया। किसानों को संबोधित करते हुए प्राचार्य ने कहा कि किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए बाजार आधारित खेती करने की नितांत आवश्यकता है। अनाज वाली फसलों के अलावा तिलहन एवं दलहन की खेती पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

समेकित कृषि के अंतर्गत मछली पालन मुर्गी पालन मधुमक्खी पालन मशरूम उत्पादन पशुपालन इत्यादि किसानों की आमदनी बढ़ाने हेतु बेहद अच्छे कृषि व्यवसाय हैं। किसान मेले में मौजूद वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान आरके जलज ने फसल अवशेषों को खेतों में ना जलाने हेतु किसानों से आग्रह किया। उन्होंने कहा कि धान एवं गेहूं के फसल अवशेषों को पशु चारा में बेहद अच्छे तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। धान फसल अवशेषों को खेतों में पड़े रहने के बाद भी गेहूं की बुवाई हैप्पी सीडर मशीन द्वारा की जा सकती है।

वेस्ट डी कंपोजर के प्रयोग से खेतों में ही फसल अवशेषों को 30 दिनों के अंदर सङाया जा सकता है। इन फसल अवशेषों को वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने में एवं मशरूम उत्पादन में इस्तेमाल किया जा सकता है। खेत में पुआल जलाने से प्रदूषण में बढ़ोतरी एवं खेतों की उर्वरा शक्ति में काफी कमी होती है। वनस्पति अनुसंधान केंद्र के प्रभारी डॉक्टर के के प्रसाद ने मूंग, उड़द एवं मूंगफली की खेती के बारे में विस्तार पूर्वक किसानों को बताया। उनके अनुसार रोहतास जिले में भी इस समय मूंग और उड़द की खेती आसानी से की जा सकती है।

इससे किसानों को धान-गेहूं के अलावा तीसरी फसल मिलेगी एवं फसल चक्र अपनाने के कारण उर्वरा शक्ति में बढ़ोतरी भी होगी। डॉ रतन कुमार के द्वारा उद्यान से संबंधित आम में मंजर का प्रबंधन गरमा में उगाई जाने वाली सब्जियां तथा किसानों के द्वारा पूछे गए उद्यान संबंधित प्रश्न पपीता केला एवं अन्य फलों के बारे में बताया। डॉ रमा कांत सिंह मृदा वैज्ञानिक ने बताया की प्राकृतिक एवं जैविक खेती करने से मृदा एवं वातावरण में सुधार के साथ साथ आर्थिक बचत भी होती है। इसके लिए वर्मि कम्पोस्ट, वेस्ट डिकंपोजर से बने जैविक दवा एवं पोसक तत्वों का उपयोग करना चाहिए।

साथ ही जीवाणु युक्त उत्पाद जैसे पी एस बी, रेजोबियम इत्यादि का उपयोग करना चाहिए। डॉ रतन कुमार ने उद्यानिक फसलों का प्रबंधन कर आय को दुगुना करने हेतु केला, स्ट्राबेरी, टमाटर की जैविक खेती कर लाभ उठा सकते है। इस समय सुरन का जैविक खेती कर लाभ उठा सकते है। डॉ शांति भूषण सहायक प्राध्यापक एवं वैज्ञानिक वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय डुमराव ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि कृषक अपने पर वेदों का रजिस्ट्रेशन पीपीवीएफआरए के तहत करा सकते हैं।

दलहन एवं तिलहन की खेती के लिए उन्होंने प्रोत्साहित किया किसान मेले में 700 कृषकों ने भाग लिया जिसमें कैमूर से 70 किसान अरवल जिला के 50 किसान एवं भोजपुर जिला के 32 किसान भी शामिल थे। किसान मेले में कृषक उद्यमी प्रिया ज्योति फर्टिलाइजर, कुमार प्रेमचंद, धनंजय सिंह, प्रियदर्शनी कुमारी संगीता गुप्ता, संतोष राय के अलावा निजी कंपनी परिजात, ग्रोवेल मत्स्य आहार कंपनी इत्यादि भी मेले में स्टाल लगाकर शामिल थे। मेले में 12 प्रकार के कृषि यंत्रों का भी प्रदर्शनी लगाई गई थी। कृषक अर्जुन सिंह, दीन दयाल सिंह, चांदनी कुमारी एवं दिलीप कुमार ने अपने सब्जी उत्पाद को प्रदर्शनी में लगाया।

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