श्रमिक संगठनों की हड़ताल का शहर में दिखा आंशिक असर, कुछ बैंकों में ठप रहा कामकाज

उत्तर प्रदेश कानपुर

कानपुर/बीपी प्रतिनिधि। शहर में श्रमिक संगठनों की हड़ताल का आंशिक असर देखने को मिला। औद्योगिक इकाइयों में सामान्य दिनों की तरह काम हुआ। कुछ बैंकों में जरूर कामकाज ठप रहा। हड़ताल के पहले दिन 875 करोड़ का लेनदेन प्रभावित होने का दावा किया जा रहा। हालांकि सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन ओवर सीज के अलावा सभी निजी बैंकों में काम हुआ।

बैंक कर्मचारियों ने शहर के अलग-अलग क्षेत्रीय कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन किया। दादा नगर चौराहे पर श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने रास्ता जाम कर श्रमिकों को फैक्ट्रियों में जाने से रोकने का विफल प्रयास किया। दरअसल, चार नए श्रम कानूनों, नई पेंशन नीति वापस लेने समेत 13 सूत्री मांगों को लेकर श्रमिक संगठनों ने दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है।

हड़ताल के पहले दिन इंटक, एटक, सीटू, एचएमएस, एक्टू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी के श्रमिक प्रतिनिधि दादा नगर चौराहे पर पहुंचे। सरकार की नीतियों की आलोचना के साथ ही प्रदर्शन किया। इस मौके पर राजीव खरे, मीनाक्षी सिंह, सीमा कटियार, असित कुमार सिंह, क्षत्रिय आजाद, रानाप्रताप सिंह, विद्या रजवार, आरडी गौतम आदि उपस्थित रहे।

वहीं ऑल इंडिया बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन के आह्वान पर बैंक कर्मचारियों ने पीएनबी क्षेत्रीय कार्यालय बिरहाना रोड, बैंक ऑफ बड़ौदा क्षेत्रीय कार्यालय गुमटी नंबर पांच, इंडियन बैंक बड़ा चौराहा, केनरा बैंक के एक और दो क्षेत्रीय कार्यालय के बाहर प्रदर्शन हुआ। यूपी बैंक इंप्लाइज यूनियन के मंत्री रजनीश गुप्ता ने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों का निजीकरण राष्ट्रहित और जनहित में नहीं है।

दावा किया कि हड़ताल से 275 करोड़ का कैश लेनदेन, 230 करोड़ की क्लीयरिंग और 370 करोड़ का आरटीजीएस प्रभावित हुआ। इस दौरान मनोज तिवारी, सुधीर सोनकर, अनुराग शुक्ला, दिनेश चंद्र, संदीप सक्सेना, एसके शुक्ला, अंकुर द्विवेदी, एसके मिश्रा आदि रहे। वहीं पंजाब नेशनल बैंक प्रोग्रेसिव इंप्लाइज एसोसिएशन के उपमहामंत्री संजय त्रिवेदी ने बताया कि कानपुर मंडल में बैंक की 73 शाखाएं हैं। इनमें सामान्य दिनों की तरह कामकाज हुआ। एसोसिएशन हड़ताल में शामिल नहीं थी। इस हड़ताल का आह्वान भी यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन ने नहीं किया था।

लाभ कमाने वाले प्रतिष्ठानों का सरकार कर रही निजीकरण : श्रमिक संघों की हड़ताल का समर्थन करते हुए बीमा कर्मचारियों ने एलआईसी के मॉल रोड स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। वक्ताओं ने कहा कि जिन आर्थिक नीतियों का विरोध कर केंद्र सरकार सत्ता में आई थी। अब पूंजीपतियों के हितों के लिए उन्हीं नीतियों को लागू कर रही है।

राजकोषीय घाटा कम करने के नाम पर लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण किया जा रहा है। देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ समझी जाने वाली एलआईसी का आईपीओ लाना और इसमें 20 फीसदी एफडीआई तय करना सरासर गलत है। इस मौके पर अशोक तिवारी, राजीव निगम, अरुण तिवारी, अमित मिश्रा, मनोज कुमार, राकेश कनौजिया, श्रवण मिश्रा आदि रहे थे।

वहीं उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी महासंघ की कलक्ट्रेट स्थित संघ भवन में बैठक हुई। इसमें विभागों के निजीकरण को वापस लेने की मांग की गई। इस दौरान रविंद्र कुमार, बीएल गुलाबिया, अजय कुमार वाल्मीकि, जितेंद्र द्विवेदी, दुर्गा श्रीवास्तव, मनीष कुमार, साधना वर्मा आदि रहीं।

यह भी पढ़ें…