सेंट्रल डेस्क/नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को संबंधित अधिकारियों को उन उम्मीदवारों को शामिल करने पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया जो कोरोना संक्रमण के कारण सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा में शामिल नहीं हो सके थे। न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली पीठ ने संबंधित अधिकारियों को उन छात्रों के प्रतिनिधित्व पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया जो कोविड-19 के कारण संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा में शामिल होने से वंचित हो गए हैं।
देश की सर्वोच्च अदालत ने अधिकारियों को दो हफ्ते के भीतर संसदीय समिति की रिपोर्ट के आलोक में मामले पर निर्णय लेने का निर्देश दिया। इसके साथ ही अदालत ने यूपीएससी उम्मीदवारों की ओर से दाखिल की गई याचिका का निपटारा कर दिया। बता दें कि सर्वोच्च अदालत यूपीएससी के उन उम्मीदवारों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जो कोरोना संक्रमित होने के कारण मुख्य परीक्षा में बैठने से चूक गए थे। ये उम्मीदवार अब यूपीएससी में अतिरिक्त मौका दिए जाने की मांग कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में तीन यूपीएससी उम्मीदवारों की ओर से अधिवक्ता शशांक सिंह के मार्फत याचिका दाखिल की गई है। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि कोरोना संक्रमण की चपेट में आने कारण वे अपने अंतिम प्रयास में चूक के लिए प्रतिपूरक प्रयास के हकदार हैं। याचिकाकर्ता ने यूपीएससी को अतिरिक्त प्रयासों के लिए उचित निर्देश जारी किए जाने की गुहार लगाई थी।याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ऐसी संभावित परिस्थितियों के लिए यूपीएससी के पास कोई नीति नहीं थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से दावा किया गया कि वे कोविड-19 पाजिटिव होने के कारण यूपीएससी की मुख्य परीक्षा में शामिल नहीं हो पाए। उनका कहना था कि सरकार की ओर से जारी सख्त क्वारंटीन गाइडलाइन के चलते वह मेन्स में शामिल होने से चूक गए। ऐसी परिस्थितियों के लिए यूपीएससी के पास ठोस नीति होनी चाहिए थी। हालांकि केंद्र सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि यदि इस परीक्षा में हमने उम्मीदवारों को अतिरिक्त मौका दिया तो दूसरी परीक्षाओं के संबंध में भी ऐसी मांगे सामने आ सकती हैं।
यह भी पढ़ें…