पूर्णिया/राजेश कुमार झा। शहर में इन दिनों मेयर चुनाव की सरगर्मी धीरे-धीरे शहरवासियों के ऊपर साफ-साफ दिखने लगी है.शहरवासी भी अब मेयर चुनाव में दिलचस्पी लेने लगे है, शहर के चौक-चौराहों पर मेयर चुनाव की चर्चा सुनाई पड़ने लगी है।
आज हम मेयर चुनाव की इस कड़ी में एक ऐसे व्यक्तित्व की बातें करने जा रहे है,जो यहां की राजनीति में बहुत अच्छी पकड़ रखते है। पिछले 30 वर्षों से इस शख्सियत की राजनीतिक गलियारों में अपनी एक अलग ही छवि बना ली है। कोई भी लोग आज तक इनके दरवाजे से खाली हाथ नहीं लौटा, दिन हो रात सभी से ये बड़ी सहजता से मिलते है। पिछले 20 वर्षों से कॉंग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पार्टी की हित के लिये काम करते रहे।
इनका नाम है कुमार आदित्य, बताते चलें कि कुमार को बचपन से ही राजनीति से बड़ा लगाव रहा.इनका सम्बंध भी देश के बड़े-बड़े राजनीतिक घरानों से काफी नजदीक रहा।लेकिन ये कभी भी लोगों के सामने अपना दम्भ नहीं भरा। बताते चलें कि बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से पासआउट होने के बाद ये यूपीएससी की तैयारी में लग गए, लेकिन किसी कारणवश सफलता हाथ नहीं लगी,उसके बाद इनको समता पार्टी ने बुलावा भेजा। इनकी कार्यक्षमता और लगनशीलता को देखते हुए इन्हें बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी गई।
जिसे कुमार आदित्य ने बड़ी ही जिम्मेदारी से निभाई, आज जिले में कुमार आदित्य को किसी भी पहचान की जरूरत नही है। मेयर चुनाव पर जब इनसे बात हुई तो इन्होंने एक ही बात कही की जो भी मेयर बने उनके पास अपना एक विजन होना चाहिये। जो जनता की आंखों से नगर निगम का विकास देखे।
जिनसे जनता कभी भी मिल सके, जिन्हें जनता की आंखों का दर्द दिखना चाहिये, जो जनता से बड़ी सहजता से मिले, क्योंकि जो जनता मेयर बना सकती है वो मेयर की कुर्सी से हटा भी सकती है। कुमार आदित्य ने कहा कि शहर में ऐसे कई काम है, जिन्हें यहां के माननीय को समझना होगा। उन्होंने कहा कि जनता के बीच रहने से ज्यादा उनकी तकलीफों को समझना बहुत जरूरी है।