नालंदा जिले में 73% प्रसव पूर्व जांच के विरुद्ध 42 प्रतिशत सुरक्षित संस्थागत प्रसव

बिहारशरीफ

बिहारशरीफ/अविनाश पांडेय: सरकार द्वारा संस्थागत प्रसव के माध्यम से मातृ मृत्यु अनुपात को कम करने की एक महत्वपूर्ण रणनीति के तहत कार्य किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के आंकड़ों के अनुसार राज्य में संस्थागत प्रसव 76 प्रतिशत सरकारी संस्थानों में तथा 20% निजी संस्थानों में होता है।

वर्ष 2021-22 के नए एचएमआईएस पोर्टल पर संस्थागत प्रसव माह जनवरी 2022 तक मात्र 46% दर्ज किया गया है। इसी कमी को समीक्षा करते हुए कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने पत्र जारी कर सिविल सर्जन को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया है। नालंदा जिले में 73% एएनसी के विरुद्ध 42%सुरक्षित संस्थागत प्रसव जारी पत्र में दिए गए एचएमआईएस पोर्टल पर अप्रैल,2021 से जनवरी 2022 तक के आंकड़ों पर गौर करें तो नालंदा जिले में 73% महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की गयी और इसके सापेक्ष में इस अवधि में जिले में संस्थागत प्रसव का आंकड़ा 42% रहा. इससे स्पष्ट है की जिले में अभी भी गृह प्रसव एवं निजी स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव कराया जा रहा है. सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार सिंह ने बताया कि जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव की समुचित व्यवस्था है. संस्थागत प्रसव पूरी तरह से सुरक्षित होता है और सरकार द्वारा इसकी सुविधा निशुल्क उपलब्ध करायी गयी है|

घ्जर में प्रसव कराना जोखिम भरा साबित हो सकता है जिससे माँ और बच्चे दोनों को जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है| जननी बाल सुरक्षा योजना के आर्थिक लाभ सिविल सर्जन ने बताया जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण एवं शहरी दोनों प्रकार की गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने के बाद अलग-अलग प्रोत्साहन राशि सरकार द्वारा प्रदान की जाती है। जिसमें ग्रामीण इलाके की गर्भवती महिलाओं को 1400 रुपये एवं शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। साथ ही इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों पर संदर्भित करने के लिए आशा कार्यकर्ता को भी प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। जिसमें प्रति प्रसव ग्रामीण क्षेत्रों में आशा को 600 रुपये .एवं शहरी क्षेत्रों के लिए आशा को 400 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।