250 रुपये में महीने भर कैसे भर रहे पेट इस संस्थान के छात्र, योगी सरकार से लगाई यह गुहार

कानपुर

कानपुर/बीपी डेस्क : कई ऐसे संस्थान है, जिनके बारे में न तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ न ही उनके शिक्षा मंत्री सुध ले रहे हैं। यहां बात की जा रही है डॉ अंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप्ड की। यहां छात्रों को भोजन के नाम पर मिलने वाले भत्ते को वर्ष 1997 के हिसाब दिया जा रहा है।

भोजन भत्ता उन्हें सिर्फ 250 रुपये महीना मिलता है। मगर, कई बार इसको बदलने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया पर मंजूरी एक बार भी नहीं मिली। पिछले साल 11 अक्टूबर को सोलर प्लांट उद्घाटन के लिए तत्कालीन प्राविधिक शिक्षा मंत्री जितिन प्रसाद कैंपस में छात्रों से संवाद करने आए थे। इस दौरान कई छात्रों ने उनसे भोजन का पैसा बढ़ाने की मांग की थी। मौके पर मंत्री ने भोजन का पैसा बढ़ाने पर विचार करने का आश्वासन भी दिया, लेकिन जमीनी स्तर योगी की दोबारा सरकार बनने के बाद भी अभी तक कुछ नहीं होता दिख रहा है। आज की तारीख में 250 रुपए महीना इन छात्रों को खाना खाने के लिए मिलता है। शायद इस रकम में कोई इंसान एक दिन भी ठीक से खाना न खा पाए।

योगीराज 2.0 में भी अब तक नहीं हो सकी सुनवाई

इस संस्थान के छात्र भोजन भत्ता न बढ़ने से काफी नाराज दिखे। उनका कहना है कि हम लोगों ने योगी आदित्य नाथ के नाम पर बीजेपी को वोट दिया। मगर, मंत्री जी हम लोगों को ही लॉलीपॉप देकर चले गए। कुछ छात्रों का यह भी कहना था कि यहां मंत्री जी जो सोलर प्लांट का उद्घाटन करने आए थे, उनके एजेंडे में हम लोग कभी थे ही नहीं। तभी चंद मिनट रुक कर यहां से चले गए थे।

शुभम सोनकर नाम के एक छात्र ने बताया कि 11 अक्टूबर को आश्वासन देने वाले दिन से आचार संहिता लगने से पहले सात जनवरी तक उनके पास 89 दिन का समय था। मगर, वह हाथ में हाथ धरकर बैठे रहे, उन्होंने कुछ नहीं किया। योगी सरकार 2.0 में जितिन प्रसाद के पास लोक निर्माण विभाग का जिम्मा है, इसलिए अब छात्र उनसे कोई उम्मीद भी नहीं रख रहे हैं। उन्होंने वादा किया था कि इसे वर्ल्ड क्लास टेक्निकल यूनिवर्सिटी बनाएंगे। अब शायद योगी से कोई उम्मीद ही नहीं रह गई।

योगी की नई सरकार बनते ही छात्रों ने संस्थान के प्रशासन पर दबाव बनाते हुए तीन हजार का एक नया प्रस्ताव भेजा है। इस समय आशीष पटेल को प्राविधिक शिक्षा मंत्री बनाया गया है। कुछ छात्रों का कहना है कि अगर इस बार हमारी उम्मीद टूटी, तो हम लोग अनशन पर बैठेंगे क्योंकि इस बार पेट का सवाल है और हम और भूखे नहीं सो सकते।