यूपीसीए पर जीएसटी चोरी की एक और शिकायत दर्ज

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कानपुर/भूपेंद्र सिंह। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में पंजीकरण के नाम पर रुपयों की वसूली करने और जीएसटी विभाग से छिपाने कि शिकायत एक बार फिर से विभाग में दर्ज कराई गई है। इससे पहले दिसंबर में भी जीएसटी चोरी का मामला विभाग में दर्ज कराया गया था जिसका मुकदमा विचाराधीन है।

इस बार कुछ क्रिकेट समर्थकों ने जीएसटी विभाग के साथ ही मुख्युमन्त्री के पोर्टल में भी कर दी है। जिससे यूपीसीए की मुसीबतें बढ भी सकती है। जीएसटी लागू किए जाने के बाद से यह पहला मामला नही है कि संघ के खिलाफ शिकायत दर्ज करवायी गयी हो इससे पूर्व भी शिकायतें दर्ज करवायी जा चुकी और महाप्रबन्धक स्तर के अधिकारियों से पूछताछ के बाद उसकी भरपायी भी करवा दी गयी है। यही नहीं उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने प्रदेश के सभी जिला संघों को अपना लोगो भी उपयोग व प्रयोग न करने की सख्त हिदायत दी है।

कहीं-कहीं पर जिला संघ खिलाड़ियों से 400 से ₹500 भी वसूल रहे हैं जबकि यूपीसीए ने जिला संघों को ₹300 प्रति व्यक्ति वसूलने के लिए लिखित रूप से निर्देशित किया है। अलीगढ़ के एक क्रिकेट प्रेमी ने जीएसटी विभाग के मुख्यालय में पत्र भेजकर उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों के खिलाफ जीएसटी चोरी का मुकदमा पंजीकृत करने का भी आवेदन किया है।

उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन से सम्बद्ध विभिन्न जिलों में सत्र 2022 23 के लिए खिलाडियों की पंजीकरण प्रक्रिया दिनांक 01 अप्रैल 2022 से प्रारम्भ की जा चुकी है। इस प्रक्रिया हेतु जिला संघ के अध्यक्ष एवं सचिवों से अनुरोध किया गया था कि अपने जिलों से सम्बन्धित पंजीकरण फॉर्म का मुद्रण स्वयं करवाये ये बात अलग है कि संघ ने फॉर्म का सैम्पल सभी जिला संघों को भेज दिया था।

पंजीकरण के सन्दर्भ में संघ की ओर से यह भी निर्णय लिया गया था कि इस वर्ष भी पंजीकरण शुल्क 300 रु ही रखा गया है। साथ ही एक शर्त भी रखी गयी थी कि किसी भी परिस्थिति कोई भी जिला संघ में उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ का प्रतीक चिन्ह) का प्रयोग नही करेगा और खिलाडियों से मिलने वाले शुल्क को प्रदेश संघ के नही जिला संघ अपने खाते में ही जमा करवायेगा।

यूपीसीए के महाप्रबन्धक विनीत गुप्ता ने जीएसटी विभाग के अधिकारियों को गुमराह करने का भी काम किया है जिसकी शिकायत भी विभाग में दर्ज करवायी गयी है। गौरतलब है कि अगर खिलाडियों का पंजीकरण शुल्क 300 रुपए है और बीसीसीआई से पैसा आ रहा है तो पंजीकरण शुल्क को कहां भेजा जाएगा। साफ तौर पर प्रदेश संघ जिले से पैसे तो लेगा लेकिन वह जीएसटी जमा करने से वंचित भी रहेगा इससे प्रदेश सरकार को लाखों का नुकसान होना तय है।

वर्जन-प्रदेश के कई छोटे जिलों में खिलाडियों के पंजीकरण के नाम पर 4 से 5 सौ रुपए वसूले जाने की बात नगर के खिलाडियों के पास भी आयी है। फतेहपुर , हमीरपुर और सहारनपुर, बरेली आदि जिला संघ खिलाडियों से अधिक रुपए ले रहे हैं अगर ऐसा है तो सरकार को जीएसटी का नुकसान तय है।

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