लखनऊ/ पुलिन त्रिपाठी। प्राइवेट प्रैक्टिस रोकने को लेकर प्रदेश सरकार का रवैया सख्त पर सख्त होता जा रहा है। मंगलवार को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के दो डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस करने का दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया गया था।
अब शासन ने नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस लेने के बाद भी प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों पर शिकंजा कस्ते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज समेत प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत डॉक्टरों से निजी प्रैक्टिस नहीं करने की बात 10 रुपये के स्टांप पेपर एफीडेविट के रूप में देने को कहा गया है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला ने सभी विभागाध्यक्षों को पत्र लिखकर कहा है कि जल्द से जल्द वह कार्यवाही पर अमल करें। उन्होंने बिफोर प्रिंट के संवाददाता को बताया कि एचओडी से भी डॉक्टरों की गैरहाजिरी या उनकी इल लीगल प्राइवेट प्रैक्टिस पर नजर रखने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि रेगुलर डॉक्टर तो किसी भी सूरत में प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करने दिया जाएगा। जो चिकित्सक कांट्रैक्ट पर हैं वह भी ड्यूटी ऑवर में और अपनी ओपीडी के दिन प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। डॉक्टरों को यह भी बताना होगा कि वह किस दिन और कहां पर निजी रूप से मरीजों को देख रहे हैं।
खुलेआम प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं डॉक्टर
शहर के मेडिकल कॉलेज के बड़े डॉक्टर जोकि की हमेशा मीडिया की सुर्खियों में रहते है वो भी प्राइवेट प्रैक्टिस करते है, साथ साथ सूबे में कई ऐसे कॉलेज है जिनमे तैनात स्थाई डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस में लिप्त होने की शिकायतें शासन तक पहुंच रही हैं।
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ऑफिस ने कमिश्नर डॉ. राजशेखर से मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की सूची तलब की हैं, जो प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। आदेश का पालन करते हुए राजशेखर ने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से जल्द से जल्द इसके बारे में रिपोर्ट तलब की है। हालांकि प्राचार्य ने इससे इनकार किया है। उन्होंने कहा कि वह ड्यूटी के समय गैरहाजिर रहने और किसी भी तरह की गड़बड़ी करने वाले डॉक्टरों पर तो कार्रवाई कर सकते हैं पर देर शाम को या सुबह सवेरे छिपकर प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों की जांच तो शासन के हाथ में है।
यह भी पढ़े..