लॉकर चोरी पीड़ितों को जेवरों के एवज में 2.64 करोड़ रुपये का हर्जाना देना पड़ा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को

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कानपुर/बीपी प्रतिनिधि। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की कराचीखाना शाखा में 11 लाकरों से जेवर गायब होने के मामले में पीड़ितों को राहत मिली है। प्रबंधन ने चोरी गए जेवरों के एवज में 2.64 करोड़ रुपये का हर्जाना दिया है।

इस बारे में यह फैसला वित्त महानिदेशक के कार्यालय में बैंक प्रबंधन व पीड़ितों के प्रतिनिधियों की बैठक में लिया गया। किस पीड़ित को कितना मुआवजा मिलेगा यह तय किया गया। गौरतलब है कि बैंक में लॉकर टूटने की घटना के बाद में एक-एक कर 11 मामलों का खुलासा हुआ था। इसमें पीड़ितों ने 3.71 करोड़ रुपये के जेवरों के गायब होने का दावा किया था।

ऐसा पहली बार हुआ है जब बैंक ने पीड़ितों को इतना बड़ा मुआवजा दिया हो। बीती 20 अप्रैल को सेंट्रल बैंक के अधिकारियों, ग्राहकों और कानपुर पुलिस कमिश्नर ने एक संयुक्त बैठक राज्य सरकार के वित्त महानिदेशक के साथ की।

राज्य सरकार की सख्ती और ग्राहकों के बढ़ते दबाव के कारण मजबूर होकर बैंक के अधिकारियों ने पीड़ितों को करीब 72 फीसदी मुआवजा सोमवार देर शाम तक दे दिया है। देश भर में कई लॉकर चोरी के तमाम मामले सामने आए हैं लेकिन जितनी जल्दी सेंट्रल बैंक लॉकर चोरी के मामले में को मुआवजा मिला है वह अपने आप में मिसाल है।

लॉकर न्याय संघर्ष समिति के संयोजक अभिमन्यु गुप्ता ने इस मामले में खुशी जाहिर करते हुए कहा कि, हम लोगों को शुक्रवार को बैंक के अधिकारियों ने बताया था कि 11 पीड़ितों को पांच दिन पहले  यानी शनिवार शाम तक अपने शपथ पत्र प्रबंधन को उपलब्ध कराने थे, जो उन्हें करा दिए गए। तब बैंक वालों ने बताया कि बैंक आपको सोमवार तक मुआवजे का चेक या ड्राफ्ट सौंप देगा।’

बैंक सूत्रों के मुताबिक सेंट्रल ऑफिस मुंबई से सोमवार दोपहर एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राजीव पुरी लखनऊ पहुंचे। उन्होंने प्रदेश सरकार के वित्त मंत्रालय के अफसरों के साथ बैठक की। यह बैठक करीब दो घंटे से ज्यादा चली। इसके बाद कुछ पीड़ितों को वहीं बैंक में उन्होंने चेक सौंपे और जो पीड़ित लखनऊ नहीं पहुंच पाए थे, उन्हें कानपुर की शाखा ने सोमवार देर रात चेक सौंप दिए ।