भई वाह : सात मंजिला बनेगा झकरकटी बस अड्डा, दो मंजिल का होगा बेसमेंट, जानिए और क्या-क्या होंगी सुविधाएं

कानपुर

कानपुर, बीपी प्रतिनिधि। झकरकटी बस अड्डा वैसे तो तालाब पाट कर बना था। पर इसमें नित नई खूबियां जुड़ती जा रही हैं। हाल में ही में नए समानांतर पुल की सौगात बस अड्डे को मिली अब तैयारी है, इसको सात मंजिला बिल्डिंग से सुसज्जित करने की तैयारी है। दो मंजिलें बेसमेट की ओर और पांच मंजिलें ऊपर की तरफ बनेंगी। यहां पर यात्रियों व बस संचालन से सम्बंधित सारी आधुनिक सुविधाएं मौजूद होंगी।

आलमबाग बस अड्डे की तर्ज पर इतराएगा अपना बस अड्डा
इस तरह का प्रस्ताव लेकर गोविंदनगर के विधायक सुरेंद्र मैथानी ने परिवहन मंत्री दयाशंकर से भेंट की और इस कार्य को पीपीपी मॉडल के तहत कराने की गुजारिश की। सूत्रों का कहना है कि मंत्री ने इन प्रस्तावों पर सहमति देते हुए सर्वेक्षण आदि के निर्देश अफसरों को दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक परिवहन मंत्री ने विधायक को जल्द ही यह तोहफा देने का आश्वासन दिया है। लखनऊ के आलमबाग़ बस अड्डे की तर्ज पर ही यहां भी निर्माण कराया जाएगा।

झकरकटी अंतर्राज्जयीय बस अड्डे से सूबे के सभी जिलों व आसपास के प्रदेशों तक पहुंचने के लिए पंद्रह सौ से अधिक बसों का संचालन होता है। तालाब पर भराव कर बने इस बस अड्डे के बगल में ही जल संचयन के लिए आज भी आधा तालाब मौजूद है। भराव पर बने होने के कारण ही यहां की जमीन अभी भी मजबूत नहीं है। अक्सर यहां पर बसों के निकलने से गड्ढे हो जाते हैं। बेसमेंट बन जाने से यह दिक्कत खत्म हो जाएगी।

जाम की समस्या हो जाएगी हमेशा के लिए खत्म
इसके साथ ही मुख्य भवन का स्वरूप बदलने से विभाग की आय और व्यवसायिक गतिवधियां दोनों बढ़ जाएंगी। रोजगार के साधन तो विकसित होंगे साथ ही डग्गामार बसों पर भी अंकुश लग जाएगा जो टाटमिल चौराहे से लेकर झकरकटी तक सवारियां लाद कर प्रदेश सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचाने में लगीं हैं। बस स्टेशन के बाहर भी जनता को जाम मुक्त आवागमन मिलेगा।

अगर टाइम टेबल पर यकीन किया जाए तो झकरकटी बस स्टेशन पर दिन और रात में तकरीबन दो सौ बसें खड़ी होती हैं। लंबी दूरी के बस ड्राइवरों व कंडेक्टरों और अन्य स्टॉफ के लिए रेस्ट रूम न होने से परेशानी होती है। बस अड्डे की 1787 वर्ग मीटर जमीन मेट्रो ने ले ली है। अड्डे के भीतर तक मेट्रो चलाने की तैयारी भी चल रही है। सभी समस्याओं का निदान पीपीपी मॉडल के तहत इस बस अड्ढे का पुर्ननिर्माण व कायाकल्प कराने से संभव होगा।