कानपुर/ बीपी प्रतिनिधि। मोबाइल फोन और लैपटॉप पर लगातार काम करने से लोगों की आंखे की नजरें कमजोर हो रही है। स्क्रीन पर लगातार देखते रहने से मायोपिया की समस्या होने से ड्राई आई की समस्या भी बढ़ी है। बच्चों में भी यह समस्या बढ़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि आंखों में सोते वक्त लुब्रीकेंट डालें।
जिन लोगों की आंखों का इलाज नहीं हो सकता और पूरा जीवन नेत्र हीनता में गुजारने को विवश हैं, उनके लिए उम्मीद की किरण जगी है। उनकी आंखों में एक चिप लगा दी जाएगी फिर वह देख सकेंगे। इसे बायोनिक आई कहते हैं। देश के वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. महीपाल सचदेवा ने बताया कि अब यह सब संभव हो गया है। इस विधि में नेत्रहीन की आंख में कैमरा लगेगा, उस कैमरे की चिप को मस्तिष्क की नर्व से जोड़ा जायेगा। यह नर्व मैसेज भेजेगी और मस्तिष्क में इमेज बन जाएगी। फिर व्यक्ति को दिखने लगेगा। अभी यह विधि ब्रिटेन में अपनाई जा रही है। जल्दी ही इसका और विकास होगा और देश में भी आएगी।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सभागार में आयोजित आईएमए सीजीपी रिफ्रेशर कोर्स में दिल्ली के वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. महीपाल सचदेवा ने व्याख्यान दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि नेत्र रोग के क्षेत्र में दवाओं और उपकरणों का विकास हुआ है। नेत्रहीनता को खत्म करने के लिए बहुत से शोध चल रहे हैं।