मुजफ्फरपुर/ब्रह्मानन्द ठाकुर। समृद्ध और खुशहाल बिहार का निर्माण गांव के बहुमुखी विकास से ही सम्भव है। इसके लिए जल, जमीन एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग जरूरी है। गांव के विकास से ही यहां से मेधा पलायन पर रोक लगाई जा सकेगी। ये बातें रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान, भारत सरकार के पूर्व वैज्ञानिक एवं ग्रामीण समृद्धि फाउंडेसन के प्रमुख सूर्य कुमार सिंह ने कहीं।
वे बाबा साहेब डाक्टर भीमराव अम्बेदकर बिहार विश्व विद्यालय के केन्द्रीय पुस्तकालय स्थित सिनेट हाल में बिहार की समृद्धि में बिहार वासियों की भूमिका विषयक एक दिवसीय सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थेः इस सेमिनार का आयोजंन गांव जवार एवं समर्थ बिहार फाउंडेसन के संयुक्त तत्वाधान मे किया गया था। उन्होने कहा कि बिहार से मेधा का पलायन इस राज्य के विकास मे बडी बाधा है। इसे रोकने का उपाय करना होगा। बिहार के लोग यहां से पलायन कर जा रहे हैं और फिर वापस आने की नहीं सोंचते। यह बिहार के हित मे नहीं है।
अमरीका का उल्लेख करते हुए उन्होने कहा किआज अमरीका अर्थ के मामले मे उच्चतर श्रेणी मे है लेकिन समृद्धि के लिहाज से वह दुनिया मे 20वें स्थान पर हैं। पूर्व वैज्ञानिक ने कहा कि समर्थ बिहार समेत अन्य संगठनो द्वारा समृद्ध बिहार बनाने के लिए अलख जगाने का काम शुरू हो चुका है। जल्द ही इहके परिणाम दिखने लगेंगे।
संगोष्ठी का उद्घाटन बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर भूगोल विभाग के अध्यक्ष प्रो राम प्रवेश यादव, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (भारत सरकार) के पूर्व वैज्ञानिक सह ग्रामीण समृद्धि फाउण्डेशन के प्रमुख सूर्य कुमार सिंह, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ कौशल किशोर चौधरी, सामाजिक कार्यकर्ता अशोक कुमार झा ने संयुक्त रूप से किया।
इस अवसर पर गांव जवार के अध्यक्ष डॉ कौशल किशोर चौधरी ने कहा कि समर्थ बिहार का उद्देश्य बहुत पवित्र है और गांव जवार के उद्देश्य से मेल खाता है, क्योंकि दोनों का मुख्य उदेश्य यह है कि बिहार राज्य को समृद्ध बनाना जाय। आज आवश्यकता है कि बिहार के कृषि को उन्नत बनने हेतु उद्योग का दर्जा दिया जाय तथा प्राचीन विद्या जो लुप्त होने के कगार पर है, उसे संरक्षित किया जाय।
साथ ही छोटे छोटे लघु उद्योग तथा कुटीर उद्योग को बढ़ावा मिलना चाहिये, ताकि बिहार से पलायन रूके। बिहार में रोजगार की संभावना को बढ़ाया जाये। सरकारी विभागों में जितने पद रिक्त हैं, उसे अतिशीघ्र भरा जाय, इस कार्य से बिहार के समृद्धि में बल मिलेगा। इसी पवित्र उद्देश्य से आज यह संगोष्ठी आयोजित है। आज के इस पावन घड़ी में हम सभी संकल्प लेते हैं कि समर्थ बिहार के बैनर तले बिहार की समृद्धि के लिये गांव-गांव तक जाऊंगा।
उन्होने कहा कि हम गांव जवार के सचिव एम. अखलाक की कार्यों की सराहना करते हैं कि उनके कर्माठता का यह परिणाम है के आज गांव जवार में लगभग दो हजार लोक कलाकार जुड़ गए हैं। शीघ्र ही एक लोक जमघट का आयोजन किया जायेगा। समर्थ बिहार के साथ हमसब मिलकर अपने राज्य के लिए अग्रसर होंगे। संगोष्ठी में ग्रामीण समृद्धि फाउण्डेशन के संयोजक आनन्द अंजनी झा ने उपस्थित सदस्यों को बताया कि ग्रामीण समृद्धि का मुख्य उद्देश्य बिहार के हर ग्रामवासी को समृद्ध बनाना है। इस क्रम में बिहार के हर जिले में 2030 तक अपना कार्यक्षेत्र स्थापित कर लेंगे।
उन्होने कहा कि कम-से-कम 15000 लोगों को उनके योग्यतानुसार रोजगार दिया जायेगा। ग्रामीण समृद्धि फाउण्डेशन का विशेष प्रयास है कि बिहार की महिलाओं को प्रोत्साहित कर उनको विकास के मुख्य धारा के साथ जोड़ा जाये। हम ग्रामवासी के योग्यता व आवश्यकता के अनुसार शिक्षा व्यवस्था, प्राकृतिक खेती, देशी गौपालन व अन्य गतिविधियों द्वारा अपने बिहार राज्य को समृद्ध व सामर्थ्यवान बनायेंगे। इसी विश्वास के साथ आप सबको सामर्थ बिहार के साथ कदम से कदम मिला कर चलने के लिए आमंत्रित करते हैं।
कार्यक्रम को बढ़ाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अशोक कुमार झा ने कहा कि यह एक अच्छा प्रयास है, इसकी जितनी सराहना की जाये कम है। इस तरह के प्रयास से निश्चित रूप से बिहार में पलायन रूकेगा। योग्य बिहार वासी अपने राज्य के समृद्धि के लिए सक्रिय योगदान देंगे। बिहार के प्रत्येक नागरिक को इस तरह के कार्यक्रम से जुड़ना चाहिए, अगर बिहार में जल संचयन पर जोर दिया जाये, डैम बनाकर विद्युत आपूर्ति हेतु प्रयास किया जाय तथा मत्स्य पालन व मखाना उत्पादन पर विशेष बल दिया जाए तो बेरोजगारी दूर हो सकती है। साथ ही पलायन रोक कर बिहार को समृद्ध बनाया जा सकता है। बिहार की भूमि काफी उर्वरक है। यहां जैविक खेती के माध्यम से और उन्नति किया जा सकता है।
इस अवसर पर बिहार विश्वविद्यालय के भूगोल विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राम प्रवेश यादव ने समर्थ बिहार के चलाए जा रहे कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि बिहार में रोजगार का अवसर पैदा करना होगा, बिहार के जितने भी योग्य व्यक्ति बाहर हैं, उन्हें इस योजना से जोड़ना होगा। कृषि, नदी व प्राकृतिक संसाधन का समुचित उपयोग करना होगा।
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अन्य वक्ताओं में सत्यप्रकाश तिवारी, भोला शाह, प्रोफेसर डॉ. रेणु ठाकुर व राजेश मिश्रा ने भी अपना विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सतीश कुमार साथी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. कौशल किशोर चौधरी ने किया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से मुक्तेश्वर मुकेश, पूर्व जिला पार्षद, डॉ. श्याम कल्याण पूर्व प्रखण्ड प्रमुख, सकरा, सुजीत वर्मा, संतोष कुमार सिंह, प्रो। रेणू ठाकुर, प्रो। कन्नूप्रिया, प्राचार्य, एमडीडीएम महाविद्यालय, पशुपति शर्मा, कुन्दन कुमार समाजसेवी आदि उपस्थित थे।