कल-कारखानों के चालू होने से शिक्षित बेरोजगारों को मिलेंगे रोजगार के अवसर : पारसनाथ

बिहार

कल-कारखानों को पुनर्स्थापित कर चालू नहीं किया गया तो चरणबद्ध तरीके से चलाया जाएगा जनआंदोलन

मोतिहारी /सिद्धार्थ। अगर बिहार के बंद पड़े चीनी मिलों सहित सभी अन्य कल-कारखानों को चालू कर दिया जाए तो सूबे के शिक्षित-बेरोजगारों को बिहार में रोजगार के बहुत बड़े अवसर प्राप्त होंगे, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार के उदासीन रवैया के कारण पूर्वी चंपारण जिले के चकिया, मोतिहारी सहित बिहार के अन्य सभी चीनी मिल और कल-कारखानें बंद पड़े है।

इसके जिम्मेवार सत्ता में शामिल सभी राजनीतिक दलों के नेता हैं चाहे वह कांग्रेस, भाजपा, राजद, जदयू या वाम दल क्यों न हो? उक्त बातें जिले के सामाजिक कार्यकर्ता पारसनाथ अम्बेडकर ने कही। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश इंडिया कंपनी के द्वारा जो भी कल- कारखानों या चीनी मिलों को लगाया गया था उसे बंद कर दिया गया और बदले में एक सुई- धागा की कंपनी भी नहीं लगाई गई।

बड़े अफसोस की बात तो यह है कि मोतिहारी, चकिया, मोतीपुर व चनपटिया चीनी मिल की जमीनों को स्थानीय प्रशासन, स्थानीय राजनेता, भूमाफिया और सरकार के आपसी गठजोड़ से बेचा जा रहा है। इतना ही नहीं ये लोग अपने-अपने सगे संबंधियों के नाम से भी जमीन का निबंधन करा लिए है। श्री अम्बेडकर ने कहा कि बिहार में बंद पड़े सभी चीनी मिलों और कल-कारखानें को पुनः चालू कर दिया जाए तो बिहार के लोगों को बिहार में ही अपने परिवार के साथ रहकर नौकरी-रोजगार के बहुत बड़े पैमाने पर अवसर प्राप्त होंगे और हमारे बिहार के लोगों को किसी अन्य राज्यों में रोजगार-नौकरी के लिए नहीं जाना पड़ेगा।

चकिया चीनी मिल को चालू करने के नाम पर कीमती उपकरणों और जमीन को स्थानीय प्रशासन के सहयोग से बेचा जा रहा है। अगर समय रहते मिल प्रबंधक और सरकार द्वारा किसानों के बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया और बंद पड़े सभी चीनी मिलों और कल-कारखानें को पुनर्स्थापित कर चालू नहीं किया गया तो चरणबद्ध तरीके से जन आंदोलन चलाया जाएगा जिसकी सारी जवाबदेही सरकार और प्रशासन की होगी।

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