बेतिया। पश्चिम चम्पारण ज़िला में खरीफ महाअभियान-सह-जिलास्तरीय कर्मशाला का उद्घाटन गुरुवार को जिला निबंधन एवं परामर्श केन्द्र (डीआरसीसी) सभागार में दीप प्रज्जवलित कर जिला पदाधिकारी, कुंदन कुमार ने किया। खरीफ महाअभियान-सह-जिलास्तरीय कर्मशाला में कुंदन कुमार ने कहा कि प्रत्येक वर्ष सभी खरीफ महोत्सव का आयोजन किया जाता है। गर्व की बात है कि वैज्ञानिकों एवं किसानों के प्रयास के कारण इतनी बड़ी जनसंख्या के लिए खाद्यान्न की उपलब्धता है। उन्होंने कहा कि फसल उत्पादन को कैसे बढ़ाया जाय, किसानों की समस्याओं का निराकरण कैसे किया जाय, इसके लिए सभी को समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि परंपरागत खेती के अतिरिक्त चंवर, तालाब का उपयोग कृषि क्षेत्र में किया जा रहा है। मखाना की खेती की जा रही है। जिला में प्रायोगिक तौर पर मखाना की खेती की गई। जिसका परिणाम सकारात्मक व उत्साहवर्धक रहा है। मखाना का उत्पादन लगभग 100 एकड़ क्षेत्र में किया जा रहा है। मखाना के लिए मार्केट लिंकेज की व्यवस्था है। जिला के किसान परंपरागत खेती के अतिरिक्त इस दिशा में आगे बढ़े और मखाना की खेती भी करें।
जिला पदाधिकारी ने कहा कि उर्वरकों का वैज्ञानिक विधि से उपयोग करें। कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि विभाग के दिशा-निर्देश अंतर्गत खेतों में उर्वरक, कीटनाशक का प्रयोग करें। इससे खेतों और फसलों की क्षति रोकी जा सकती है। उन्होंने कहा कि धरती हमारी माता है और हम सभी इसके बच्चे। अगर धरती माता का स्वास्थ्य अधिक एवं अनुचित उर्वरक का प्रयोग से प्रभावित होगा। उसके बच्चे, हम सभी भी प्रभावित होंगे। धरती का स्वास्थ्य अत्यधिक कीटनाशक व उर्वरक के प्रयोगों से खराब हो रहा है। इसे हम सभी को रोकने की आवश्यकता है। सभी को समन्वित प्रयास कर धरती को बीमार होने से बचाना है।उन्होंने कहा कि चम्पारण क्रांति की धरती रही है।
अब चम्पारण की धरती से कृषि क्रांति की आवश्यकता है। स्वायल हेल्थ कार्ड के आधार पर कौन सा उर्वरक कितनी मात्रा में खेतों में डालना है की जानकारी लेकर ही उर्वरक का प्रयोग करें। उर्वरकों के बेतहाशा प्रयोग से खेतों और फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है। उन्होंने कहा कि स्वायल हेल्थ कार्ड के आधार पर उर्वरक आदि का प्रयोग करने पर उर्वरक की कमी नहीं होगी। फसलों की पैदावार अच्छी होगी। खेतों की उर्वरा शक्ति बेहतर बेहतर होगी। फसल अच्छे होंगे। उन्होंने कहा कि सभी को केमिकल उर्वरक से ऑर्गेनिक उर्वरक की ओर बढ़ना होगा। ऑर्गेंनिक उर्वरक के प्रयोग से फायदे ही फायदे है ।जिला पदाधिकारी ने कहा कि कृषि एलायड क्षेत्रों मधुमक्खी पालन, फिशरिज, मशरूम, स्ट्रॉबेरी आदि में किसानों को दिलचस्पी लेनी होगी। उन्होंने कहा कि फर्टिलाइजर को लेकर सरकार द्वारा जीरो टॉलरेंस की नीति अपनायी जाती है। फर्टिलाइजर एवं बीज वितरण आदि कार्यों में गड़बड़ी पर कार्रवाई भी की जायेगी।
जिला पदाधिकारी ने कृषकों से कहा कि खरीफ महाअभियान-सह-जिलास्तरीय कर्मशाला का लाभ उठायें और अच्छे तरीके से खेती करें। तदुपरांत जिला पदाधिकारी द्वारा जागरूकता रथों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। यह जागरूकता रथ जिले के गांव-गांव जाकर प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना, बीज ग्राम योजना, कृषि यांत्रिकरण योजना, कृषि फसल बीमा, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन आदि की विस्तृत जानकारी कृषकों को मुहैया करायेगा।
खरीफ महाअभियान-सह-जिलास्तरीय कर्मशाला में किसानों को खरीफ फसलों के उत्पादन की उन्नत तकनीक, मौसम के बदलते परिवेश में धान की सीधी बुआई, संकर धान की वैज्ञानिक खेती, जिरो टिलेज से धान की खेती, संकर मक्का की वैज्ञानिक खेती, पैडी ट्रांसप्लांटर से धान की यांत्रिक रोपाई, अरहर की वैज्ञानिक खेती, उड़द की वैज्ञानिक खेती, तिल की वैज्ञानिक खेती, सब्जी की वैज्ञानिक खेती, समेकित कृषि प्रणाली, फसल अवशेष प्रबंधन, सोयाबिन की वैज्ञानिक खेती, सूक्ष्म सिंचाई पद्धति आदि की विस्तृत जानकारी दी गयी। उपर्युक्त कार्यक्रम में उप निदेशक (रसायन) विनय कुमार पाण्डेय, जिला कृषि पदाधिकारी विजय प्रकाश, सहायक निदेशक, उद्यान विवेक भारती एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।