नालंदा : 6 से 11 जून तक चलेगा एमआर टीकाकरण के लिए सर्वे महाअभियान

पूर्णियाँ

— 3600 सत्रों पर सर्वे द्वारा वंचित बच्चों की ली जाएगी जानकारी

बिहारशरीफ/अविनाश पांडेय: कोरोना संक्रमण के कारण शिशुओं व गर्भवतियों के नियमित टीकाकरण पर जो असर दिखने लगा था। उसे फिर से गति देने के लिए प्रशासन पूरी तरह तत्पर है। इसी के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार जिले में 6 से 11 जून तक एमआर (खसरा एवं रूबेला) टीकाकरण सर्वे महाभियान चलाया जाएगा।

सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने बताया इस संदर्भ मे शनिवार को ज़ूम मीटिंग के द्वारा सभी प्रखण्डों के संबन्धित अधिकारियों को निर्देश दिये जा चुके हैं। ताकि सोमवार से चलने वाले इस अभियान को सफल बनाने के लिए आवश्यक सभी तैयारियां ससमय पूरी कर ली जाएं

3600 सत्रों मे चलेगा अभियान:
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राजेंद्र चौधरी ने बताया नियमित टीकाकरण से वंचित बच्चों को चिन्हित कर उन्हे टीकाकृत करने के लिए इन 6 दिनों में पूरे जिले में 3600 सत्रों पर सर्वे कार्य चलाया जाएगा। गौरतलब है की जिले का वार्षिक लक्ष्य 88 हजार 350 है। हालांकि कोरोना संक्रमण के बावजूद एक वर्ष तक के बच्चों को लगने वाले नियमित टीकाकरण के कुल लक्ष्य का 92 प्रतिशत पहले ही हाशील किया जा चुका है । फिर भी वंचित बच्चों को भी नियमित टीकाकरण के आच्छदन में लेने के लिए विभाग तैयारियों में जुट गई है।

आशा – सेविकाए व मोबिलाइजर लेंगे ज़िम्मेदारी
पूरे अभियान के सफल संचालन के लिए जहां 2200 सेविका एवं आशा कार्यकर्ताओं को ज़िम्मेदारी दी गयी है वही 1400 कम्यूनिटी मोबिलाइज़र भी नियुक्त हैं। ताकि सर्वे अभियान की पहुंच से एक भी बच्चा छूटने न पाये। साथ ही इस अभियान में सहयोगी पार्टनर डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ एवं केयर इंडिया का भी सहयोग लिया जाएगा। यह सर्वे अभियान जिले के विभिन्न प्रखंड के सभी गांव में घूम घूम कर किया जाएगा, जिसमें खसरा एवं रूबेला टीकाकरण से वंचित बच्चों की जानकारी ली जाएगी। साथ ही इस सर्वे में गर्भवती महिला, धात्री महिला एवं योग्य दंपत्ति का भी सर्वे किया जाएगा। बच्चों को होने वाली खसरा एवं रूबेला बीमारी से बचाने के लिए पड़ने वाले खसरा एवं रूबेला सर्वे अभियान के दौरान टीकाकरण अभियान चलाकर एमआर (मिजिल्स और रूबेला) से वंचित लक्षित शिशुओं को इस खतरनाक बीमारी से बचाने के लिए टीकाकरण किया जाएगा।

1 से 2 साल के बच्चों को सम्पूर्ण सुरक्षा
डॉ. चौधरी ने बताया कि 9 से 12 माह के बच्चों को खसरा और रूबेला का टीका दिया जाता है। उसके बाद 16 से 24 माह के बच्चे को दूसरा खुराक दिया जाता है और यह एक संपूर्ण डोज होता है। जिसका मुख्य मकसद 1 साल के भीतर के बच्चों को पूर्ण सुरक्षित रखना तथा दूसरी खुराक के बाद 1 से 2 साल के बच्चों को संपूर्ण सुरक्षित रखना है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी 1 बच्चों से दूसरे बच्चों में फैलती है, इसलिए हम लोगों का प्रयास है कि जितने भी बच्चे एमआर से वंचित हैं उन्हें जल्द से जल्द टीकाकृत करके सुरक्षित रखा जाए। 6 से 11 जून तक सर्वे अभियान चलाकर एमआर टीका से वंचित बच्चों की सूची तैयार की जाएगी। उसके बात अभियान चलाकर उन्हें टीकाकृत किया जाएगा।

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