पश्चिम चंपारण : टीबी के मरीजों का बीच में दवा छोड़ना खतरनाक, पूरा कोर्स करना जरूरी है- डॉ. लुकमान

बिहार बेतिया हेल्थ

बेतिया/अवधेश कुमार शर्मा। पश्चिम चम्पारण जिला के मझौलिया प्रखंड स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरिसवा में आयोजित केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की बैठक संपन्न हुई। बैठक में टीबी मरीज, केयर गिवर, एसटीएस,टीबी चैंपियन आदि शामिल हुए।

इस दौरान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. लुकमान ने कहा कि टीबी की दवा बीच में छोड़ना खतरनाक है। पूरा कोर्स करना जरूरी है, तभी टीबी से मुक्ति मिल सकती है। दवा शुरू होने के एक माह बाद ही रोगी स्वस्थ महसूस करने लगते हैं। ऐसे में कई रोगी दवा छोड़ देते हैं। बीच में दवा छोड़ने से वे ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के शिकार बन जाते हैं, जिनका उपचार मुश्किल हो जाता है।

वही चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुमित कुमार ने बताया कि टीबी रोगी सरकारी अस्पताल की निशुल्क उपचार की सुविधा का लाभ उठा सकते है। अस्पताल में जांच से लेकर दवा तक निशुल्क उपलब्ध है। बैठक में एसटीएस प्रभुनाथ राम ने बताया कि टीबी से ग्रसित मरीजों को सरकार के तरफ से पांच सौ रुपये पोषण राशि दी जाती है।बैठक में टीबी मरीजों को फोन ए फ्रेंड के तहत निःशुल्क टॉल फ्री नंबर भी उपलब्ध कराया गया जिस नंबर पर मरीज तथा उनके देखभाल करने वाले मिस्ड कॉल देकर टीबी बीमारी संबंधित जानकारी ले सकते है।

इस दौरान टीबी मरीजों को दिए गए टीबी कैलेंडर पर भी चर्चा की गई। मौके पर उपस्थित टीबी चैंपियन ढोरा मांझी ने टीबी मरीजों को बताया कि जिस दिन मुझे मालूम हुआ कि मुझे भी टीबी है मैं भी काफी घबडा गया था लेकिन सरकारी अस्पताल से दवा लेकर लगातार छह माह तक दवा खाया और डॉक्टरों के निर्देश का पालन किया जिससे मैं आज पूर्ण रूप से स्वस्थ हूँ।

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ढोरा ने टीबी मरीजों से कहा कि वें घबराये नही और नियमित रूप से दवा का सेवन करें आपलोग भी पूर्णरूप से स्वस्थ हो जाएंगे। इस दौरान टीबी मरीजों की समस्याओं का निराकरण किया गया। बैठक में केएचपीटी के सामुदायिक समन्यवक डॉ. घनश्याम, फार्मासिस्ट मोहम्मद जिकरुल्ला सहित दर्जनों टीबी मरीज तथा उनके देखभाल करने वाले परिजन उपस्थित रहे।