सेंट्रल डेस्क। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में देश में इमरजेंसी घोषित करने की राजनैतिक घटना को याद किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में देश में हो रहे स्टार्टअप पर भी चर्चा की। मन की बात समाप्त होने के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान हालात बहुत चिंताजनक थे। इसी का जिक्र प्रधानमंत्री ने मन की बात में दोहराया। वहीं बिहार के बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने भी इमरजेंसी को काला अध्याय बताया है। संबित पात्रा ने कहा कि आपातकाल के विरुद्ध में बिहार की मिट्टी से ही आंदोलन शुरू हुआ था। बिहार की मिट्टी से ही लोकतंत्र का दूसरी बार शंखनाद हुआ था। इस बीच बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का बयान आया है कि इमरजेंसी आधुनिक भारत के इतिहास का काला अध्याय थी। उन्होंने कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री ने जिक्र किया भारत आज स्टार्टअप के माध्यम से आगे बढ़ रहा है।
यह बात सौ फीसदी सही है। गौरतलब है कि 23, 24 और 25 जून 1975 में जो सियासी हलचल हुई उसे भारतीय लोकतंत्र का काला इतिहास ही कहा जाता है। इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी। इस दौरान कई समाचार पत्रों की बिजली काट दी गई। प्रेस के अंदर इंदिरा गांधी के भेजे हुए दबंगों व पुलिस ने घुसकर जमकर दुर्व्यवहार किया। सभी जगह प्रेस मीडिया में कोहराम मच गया। लोगों का कहना है कि कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ इंडिया के आर्टिकल 352 का दुरुपयोग किया गया।
इमरजेंसी के दौरान 25 हजार के लगभग पत्रकारों को विभिन्न मुकदमों में जेल भेजा गया। पत्रकारों पर अत्याचार की योजना तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व उनके खास लोगों ने 23 जून को ही विधिवत बना ली थी। 24 जून को सुप्रीम कोर्ट का आदेश हालांकि इंदिरा गांधी के बहुत हद तक पक्ष में था। उसके बावजूद भी कोर्ट के आदेश की तौहीन करने व मीडिया को रोकने के लिए 25 जून को अधिकतर मीडिया हाउस में फोर्स कूदकर के उत्पात मचाने लगी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर अय्यर ने यह भी बताया था की तत्कालीन कानून मंत्री गोखले ने उनको हड़काते हुए मिलने के लिए भी कहा था, दबाव बनाया था।
23 जून से लेकर के 30 जून 1975 तक का समय देश के लिए एक काला सप्ताह था।लाल बहादुर शास्त्री के मीडिया सलाहकार कुलदीप नैयर ने इनसाइड स्टोरी ऑफ इमरजेंसी किताब में 1975 में हुए प्रेस पर हुए अत्याचार का उल्लेख किया है । पूरे देश में मीडिया जगत के हर जिले, हर कस्बे, हर प्रेस के पत्रकारों को पूरी तरह से प्रताड़ित किया गया। प्रेस में बल प्रयोग किया गया तथा पत्रकारों पर झूठे मुकदमे लगाकर, घरों व प्रेस में तोड़फोड़ कर और पत्रकारों को शारीरिक चोट पहुंचा कर बंद किया गया।