कानपुर, भूपेंद्र सिंह। उत्तर प्रदेश के पूर्वान्चल हिस्सों से आने वाले क्रिकेटरों ने अब अलग से क्रिकेट एसोसिएशन के गठन की सिफारिश बीसीसीआई से की है। इन क्षेत्रों से आने वाले क्रिकेटरों ने बीसीसीआई को इंगित किया है कि जैसे महाराष्ट्र् व गुजरात में कई टीमें देश की प्रतियोगिताओं में भाग लेती है ठीक उसी तरह से ही यूपीसीए से अलग कम से कम दो और टीमों का गठन करने के निर्देश जारी करे।
यूपीसीए में अभी केवल 42 जिलों के ही खिलाडी खिलाए जाने के लिए पंजीकृत किए जाते है जबकि पूरे प्रदेश से खिलाडियों का चयन प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए। पूर्वान्चल की ओर बसे छोटे कस्बों के खिलाडियों को यूपीसीए इजाजत ही नही देता है। इन स्थानों से खिलाडियों का टीम में न होना और पडोसी राज्यों के खिलाडियों को टीम में खिलाया जाना किसी के भी गले नही उतरता है।
राज्यो के पूर्वी क्षेत्रों से आने वाले क्रिकेटरों की मांग है कि यूपीसीए जब सभी 75 जिले के खिलाडियों को टीम में शामिल कराने के लिए प्रतिबद्ध नही है तो क्यों न महाराष्ट्र और गुजरात की ही तरह लगभग तीन-तीन टीमों का गठन करवा दिया जाए। गौरतलब है कि प्रदेश की लगभग 25 करोड की आबादी में टीम के लिए 15 से 30 चुनिन्दा खिलाडी चुनने के लिए चयनकर्ताओं और प्रबन्धतन्त्र को पसीने बहाने पड जाते है।
प्रदेश के वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मिर्ज़ापुर ,गाज़ीपुर, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, आजमगढ़, मऊ, महाराजगंज, बस्ती, संत कबीर नगर, सिद्धार्थ नगर, बलिया, सोनभद्र आदि क्षेत्र के क्रिकेटरों को टीम में देखना ही अपने आप में सपना देखने के बराबर है। इतना तो तय है कि अलग से पूर्वान्च्ल क्रिकेट संघ के गठन के बाद इन जिलों के खिलाडियों को रणजी और विजय हजारे और मुश्ताक अली ट्राफी खेलने के लिए किसी और राज्य़ की ओर निहारना नही पडेगा।
इस क्रिकेट संघ को अलग से गठित कराने के लिए वाराणसी और गोरखपुर के कुछ खिलाडियों ने बीडा उठाया है पूरे संगठन को खडा करने के लिए इन जिलों में भ्रमण भी कर लोगों को इकटठा करने का कार्य कर रहे हैं।
वर्जन–महाराष्ट्र और गुजरात की तर्ज पर पूर्वान्चल क्रिकेट संघ के गठित होने से इन क्षेत्रों के खिलाडियों को टीम भी मिल जाएगी और यूपीसीए का भार भी कम हो जाएगा। यूपीसीए अभी इन जिलों के खिलाडियों को तरजीह नही दे रहा है। अरविन्द् शर्मा -पूर्व क्रिकेटर- वाराणसी।