पिपरासी, सुमंत कुमार। बगहा चीनी मिल परि क्षेत्र में सीओ 238 गन्ने की प्रजाति में लाल सड़न रोग होने से गन्ने की फसल बर्बाद हो रही है । गन्ने का कैंसर के रूप में यह रोग मानी जा रही है। जिसके कारण उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा उक्त प्रजाति के गन्ने पर प्रतिबंध लगा दिया है। आगामी वर्ष में केवल खूंटी गन्ने की आपूर्ति की अनुमति दी गई है। गन्ना बीज उपलब्ध सरकार नहीं कराएगी । बगहा चीनी मिल के गन्ना महाप्रबंधक बीएन त्रिपाठी, गन्ना प्रबंधक अरुण कुमार सिंह, बी पी सिंह सुपरवाइजर अनिकेत यादव, सीडीओ आलोक राव,केपी चौरसिया आदि गंडक पार के प्रखंडों तथा चीनी मिल के परी क्षेत्र में किसानों को जागरूक किया जा रहा है। गन्ना महाप्रबंधक ने बताया कि गन्ने का लाल सड़न रोग के लिए फिलहाल कोई दवा नहीं है । लेकिन इस रोग का प्रभाव अधिक न फैले इसके लिए रूटो नामक दवा का इस्तेमाल किया जा रहा है। बरसात या बाढ़ के पानी से भी यह रोग चारों तरफ फ़ैल सकता है।
इसके लिए ब्लीचिंग पाउडर की छिड़काव करने की निर्देश किसानों को किया जा रहा है । चीनी मिल के द्वारा सीओ 238 वैरायटी के गन्ने बीज के रूप में नहीं दिए जाएंगे। इसके स्थान पर उच्च प्रजापति की गन्ना 118, 15023, 14201, 13235, 9301 अक्टूबर माह से बीज के लिए किसानों को दिया जाएगा । सर्वेक्षण के अनुसार मिल परी क्षेत्र में सीओ 238 गन्ने की खेती करीब 70 फ़ीसदी किसानों ने किया है। आगामी वर्ष में गन्ने की बुवाई नहीं होगी। और केवल खूंटी का ही आपूर्ति आगामी वर्ष में ली जाएगी।
कैसे लगता है यह गन्ने में रोग महाप्रबंधक ने बताया कि यह रोग कोलेट्रोट्राईकम फालकेटप नामक फफूंदी से लगता है। यह गन्ने का कैंसर नाम से भी जाना जाता है। लाल सड़न रोग के फफूंदी मिट्टी में कई महीनों तक जीवित रहता है। इसलिए यह रोग में वृद्धि ना हो पौधे को जड़ से काट दी जाती है। और ब्लीचिंग की छिड़काव कर दी जाती है। बता दें कि यह रोग किसानों व चीनी मिल के लिए भारी मुसीबत बनी हुई है।