शहादत दिवस पर याद किए गये 1857 के आंदोलन में तिरहुत के प्रथम शहीद वारिस अली

बिहार मुजफ्फरपुर

क्रांतीकारियों के जीवन संघर्ष है प्रेरणा लेकर जनता की बुनियादी समस्याओं के समाधान हेतु संघर्ष करना ही शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजली होगी
मो.इदरीश

मुजफ्फरपुर, बिफोर प्रिंट। स्वतंत्रता संग्राम 1857 में तिरहुत से बिहार के प्रथम शहीद वारिस अली के शहादत दिवस का आयोजन “संकल्प” एवं “नागरिक फोरम” के संयुक्त तत्वावधान में शहीद खुदीराम बोस स्मारक स्थल कंपनी बाग में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संकल्प के अध्यक्ष मोहम्मद जमील अख्तर एवं संचालन नागरिक फोरम के विजय कुमार ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत शहीद वारिस अली की याद में बने शहीद वेदी पर माल्यार्पण से हुई। कार्यक्रम में विषय प्रवेश कराते हुए शहीद वारिस अली के जीवनी पर प्रकाशित पुस्तक के लेखक व पत्रकार आफाक आजम ने जिले के सभी शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों पर किए गए शोध के विषय में, विशेष कर शहीद वारिस अली के विषय में विस्तार से जानकारी दी। शहादत दिवस की अध्यक्षता करते हुए संकल्प के अध्यक्ष मोहम्मद जमील अख्तर ने जिला प्रशासन से मांग किया कि वारिस अली का शहादत दिवस सरकारी स्तर पर मनाई जाए,

नवनिर्मित समाहरणालय द्वार पर जिला के तमाम शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों का नाम अंकित की जाए एवं “मालगोदाम चौक से मोतीझील तक का नाम वारिस अली” नगर निगम में दर्ज है, जिसका शिलापट्ट लगाई जाए। नागरिक फोरम के अरविंद कुमार ने कहा कि देश की आजादी की लड़ाई में हर जाति धर्म एवं संप्रदाय के लोगों ने एकजुट होकर संघर्ष किया एवं अपनी कुर्बानिया दी। उन लोगों का सपना धर्मनिरपेक्ष देश बनाने का था जहां पर सभी के लिए शिक्षा स्वास्थ्य एवं रोजगार की गारंटी हो। मजदूर यूनियन के नेता मो. इदरीश ने कहा कि वारिस अली सहित आजादी आंदोलन के तमाम क्रांतिकारियों एवं मनीषियों का सपना अधूरा है।

क्रांतिकारियों एवं मनीषियों के जीवन संघर्षों से सीख लेकर वर्तमान समय में व्याप्त समस्याओं को लेकर संघर्ष करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।कार्यक्रम में मजदूर यूनियन के नेता शंभू शरण ठाकुर, गुलशन परवीन, आरफा जिया, रिंकी कुमारी, शिव कुमार, राजन कुमार, मो. अली अहमद, मो. साहील, आरिफ रजा, सनाउल्लाह, राजेश शर्मा का.युनूस, डा सैयद अली मुर्तजा, पंकज किशोर, नबी आलम, इम्तेयाज अहमद एवं काशीनाथ साहनी आदि मौजूद रहे।