कानपुर/बीपी प्रतिनिधि। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ और उसके अधीन पल रही डा.गौरहरि सिंहानिया क्रिकेट अकादमी के प्रभारियों के बीच आपसी जंग अब शायद मुखर होने लगी है। यूपीसीए और क्रिकेट अकादमी के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के बीच अहम का टकराव सामने आ रहा है। यूपीसीए के कार्यकारी अधिकारी ने लगभग दो महीने पूर्व ही अपना कार्यभार संभाला लेकिन वह अभी भी क्रिकेट अकादमी के सीईओ के आगे बौने साबित हो रहे है।
उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ की जारी प्रेस विज्ञप्तियों में अभी भी पूर्व सीओओ दीपक शर्मा के ही हस्ताक्षर हो रहे हैं। जबकि वह अब यूपीसीए की घोषित कार्यकारिणी समिति का लिखापढी में हिस्सा तक नही है। यही नही वह अभी भी मीटिंगों में शामिल होकर निर्णय लेने में अभी भी मुख्य तौर पर सामने आते दिखायी दे रहे हैं।माना यह जा रहा है कि यूपीसीए में लगभग 6 सालों से मुख्य् संचालन अधिकारी रहे दीपक शर्मा ने अपना गुट बना डाला और कई सदस्यों को अपने साथ कर लिया। गौरतलब है कि यूपीसीए में उनको ही कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किए जाने का आश्वासन दिया जा रहा था।
उनकी नियुक्ति उस पद पर नही होने से वह नाराज भी चल रहे थे। उन्हे यूपीसीए के अधीन चल रही डा.गौर हरि सिंहानिया क्रिकेट अकादमी का सीईओ पद पर नियुक्त कर थोडा सान्तवना देने की कोशिश की गयी। यूपीसीए में कार्यवाहक सीईओ पद पर नियुक्ति नोएडा के अंकित चटर्जी से उनकी दूरियां यूपीसीए में चर्चा का विषय बनी हुयी है। यूपीसीए की कार्य प्रणाली में सीईओ के दम को कम तो अकादमी के प्रभारी के दम को प्रभावी बनाया जा रहा है। यही नही क्रिकेट अकादमी और यूपीसीए का कार्य भी एक ही लैटर पैड पर क्रियान्वित उनके इशारे पर ही किया जा रहा है जबकि अकादमी और संघ के कर्मचारियों की नियुक्ति ही अलग –अलग की गयी है और उसके कार्यालय भी विभिन्न स्थानों में आवन्टित हैं।
यूपीसीए के लैटर पैड पर अभी भी अकादमी के प्रभारी प्रयोग कर अपनी शान के कसीदे पढ नम्बर बढाने में लगे हुए हैं। इस बारे में यूपीसीए के सचिव प्रदीप गुप्ता से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि संघ और अकादमी के बीच कुछ भी असामान्य नही है सब कुछ ठीक चल रहा है। वहीं यूपीसीए के नोडल अधिकारी ने बताया कि आपसी मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के बीच चल आपसी द्धन्द के चलते थोडा कार्य प्रभावित अवश्य हो रहा है।अकादमी और संघ के अपने अलग लैटर पैड होने चाहिए और उनके कर्मचारियों को ही अपने कार्य को अंजाम देना चाहिए।
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