कानपुर, बीपी प्रतिनिधि। कानपुर हिंसा के दौरान पुलिस फोर्स के आने तक चंद्रेश्वर हाते के आठ-दस लोगों ने उपद्रवियों से मोर्चा संभाल रखा था। हाते में रहने वाले हिंदुओं का नरसंहार करने पर भीड़ उतारू थी। हाते पर पत्थरों और बमों से हमला कर रही थी। जब लोगों को लगा कि आज हाता खत्म हो जाएगा, तो हाते के लोगों ने अपनी तरफ आ रहे पत्थरों को आत्मरक्षा के लिए भीड़ की ओर फेंकना शुरू किया। पत्थरबाजी में हाते की कई महिलाएं और बच्चे भी घायल हुए, लेकिन पुलिस फोर्स के आने तक हाते के लोगों ने भीड़ को रोके रखा।
इन तथ्यों का खुलासा नई सड़क में तीन जून को हुए उपद्रव में शामिल आरोपियों की जमानत अर्जी पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में किया। एडीजीसी दिनेश अग्रवाल व विशेष लोक अभियोजक पंकज त्रिपाठी ने घटना की तीन एफआईआर में से एक के वादी परेड निवासी मुकेश के बयान का हवाला देते हुए कोर्ट में तर्क रखा कि नूपुर शर्मा का बयान तो सिर्फ एक बहाना था। बिल्डर वसी, मुख्तार बाबा और हयात को बंदी की आड़ में चंद्रेश्वर हाता कब्जाना था। फोर्स वीवीआईपी सुरक्षा में तैनात थी इसी का फायदा उठाकर साजिश रची गई। चंद्रेश्वर हाते के लोगों ने फोर्स के आने तक बहादुरी से मोर्चा न संभाला होता, तो बड़े नरसंहार को टालना मुश्किल हो जाता। सबकुछ सोची-समझी साजिश के तहत किया गया था।
चंद्रेश्वर हाता खाली कराने के लिए तय हुआ था एक करोड़ में सौदा
नई सड़क बवाल की जांच में जुटी एसआईटी को एक अहम जानकारी हाथ लगी है। फंडिंग के मामले में जेल भेजे गए बाबा और वसी ने चंद्रेश्वर हाता खाली कराने के लिए एक करोड़ में सौदा किया था। बवाल में पथराव, गोली व बम चलाने वालों तक का रेट तय था। एसआईटी सूत्रों के अनुसार फंडिंग के मामले में जेल भेजे गए हयात ने पूछताछ के दौरान कई चौंकाने वाले राज खोले थे।
हयात द्वारा बंदी की अपील के बाद मुख्तार बाबा, हाजी वसी उसके मैनेजर हमजा, हिस्ट्रीशीटर समेत कई अन्य लोगों के चंद्रेश्वर हाता कब्जाने के लिए बाबा बिरयानी के रेस्टोरेंट में मीटिंग की थी। जिसमें यह तय हुआ कि बंदी की आड़ में वे चंद्रेश्वर हाता पर हमला बोल देंगे।
सूत्रों के अनुसार वसी ने बाबा के बेटे उमर अफजाल को बुलाकर दस लाख रुपये दिए थे। ये रूपये अफजाल ने बवाल के दौरान गोली, तमंचा, बम और पत्थर चलाने वाले लोगों को बांट दिया था। इसके बाद अफजाल ने छोटे मियां हाता निवासी हिस्ट्रीशीटर अकील खिचड़ी और सबलू को बुलाकर चार-चार लाख रुपये देकर साथियों संग भीड़ में शामिल कर लिया था। तय योजना के तहत नमाज खत्म होने के बाद चंद्रेश्वर हाता पर हमला कर दिया था।