कानपुर,बीपी प्रतिनिधि। सावन के पहले रविवार को शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ पडी। पहले सोमवार को बाबा शिव के दर्शन को भक्त रविवार रात से ही मंदिरों में पहुंचने लगेंगे। शिवालयों में देर रात से ही बम-बम शिव-शिव गुंजायमान होगा। आनंदेश्वर समेत शहर के प्रमुख मंदिरों की चौकसी रात से ही बढ़ा दी गई। मन्दिर आने जाने वाले हर व्यक्ति पर सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी जा रही है। सोमवार के दिन मन्दिरों में दर्शन करने आने वाले भक्तों के लिए रविवार को दिनभर तैयारियों का दौर भी चलता रहा। मान्यता है कि सावन के पहले सोमवार को बाबा शिव अपने भक्तों की सभी मुरादें पूरी करेंगे। पहले रविवार को सुबह से परिवार के साथ भक्त बाबा के दर्शन के साथ पहुंचे।
परमट स्थित आनंदेश्वर मंदिर में रात 12 बजे तक पट खुले रहे। देर रात फिर 2 बजे पट खुलने से भक्त रात से ही लाइन लगा कर दर्शन करेगे। गंगा घाट किनारे स्थित सिद्धनाथ मंदिर में भी रविवार को भीड़ रही। जागेश्वर, नागेश्वर मंदिर में भी सोमवार को सुबह से पूजा-अर्चना शुरू होगी। खेरेश्वर, वनखंडेश्वर, खेरेपति, कैलाश मंदिर, कोतवालेश्वर मंदिर समेत शहर के सभी शिव मंदिरों में सावन के पहले सोमवार को भीड़ को देखते हुए तैयारियां होती रहीं। भक्तों की सुरक्षा की विशेष व्यवस्था रहेगी। फोर्स भी तैनात कर दी गई है।
आनंदेश्वर मंदिर में वीआईपी रोड से पेट्रोल पंप से लगी सड़क से आने वाले वाहन टेफ्को नाले के पास मैदान में खड़े होंगे। ग्रीनपार्क चौराहा के पास भी पार्किंग की व्यवस्था रहेगी। जागेश्वर मंदिर के पास मैनावती मार्ग में पीछे की ओर मैदान में वाहन खड़े किए जा सकेंगे। जाजमऊ स्थित सिद्धेश्वर मंदिर के पास बरगद के पेड़ के पास मैदान में वाहन पार्क किए जाएंगे।
सज गए शिवालय सावन के पहले सोमवार के लिए
भगवान शंकर को समर्पित सावन महीने के लिए शहर के सभी छोटे बडे शिवालय सज धज कर पूरी तरह से तैयार हो चुके है। चार प्रसिद्ध शिव मन्दिरों के अलावा छोटे बडे मन्दिरों में साफ सफाई का काम आज पट बन्द होने से पहले ही पूरे करा दिए गए। श्रावण मास में किया गया पूजन अर्चन और अभिषेक अनंत पुण्य देने वाला होगा। इस बार श्रावण मास में 18 व 25 जुलाई को और 1 और 8 अगस्त को मिलाकर चार सोमवार पड़ेंगे। रक्षाबंधन का पर्व 11 अगस्त के दिन मनाया जाएगा और इसी दिन श्रावण मास समाप्त होगा
ज्योतिषविद रागेश शुक्ला ने बताया कि श्रावण मास में रुद्राभिषेक जरूर करना चाहिए। यदि रुद्राभिषेक नहीं कर सकते हैं तो भगवान शिव का जलाभिषेक अवश्य करें। यदि बालू अथवा मिट्टी से पार्थिव लिंग बनाकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं तो मनोवांछित फल की प्राप्ति होगीए ग्रहों की पीड़ा शांत होगी। भगवान शिव के पंच पंचाक्षर मंत्र ओम नमरू शिवाय का जप अवश्य करना चाहिए।