– मॉडल ग्राम पंचायत विकसित करने पर विशेष बल
बिहारशरीफ/अविनाश पांडेय: 6 अगस्त तक 12 बैचों में जिले के सभी पंचायत समिति सदस्यों का एवं 24 अगस्त तक 14 बैचों में सभी मुखिया एवं उप मुखिया का प्रशिक्षण कार्य जिला पंचायत संसाधन केंद्र के प्रशिक्षकों द्वारा पूर्ण किया जाएगा। सभी जनप्रतिनिधियों को उनके अधिकार, कार्य एवं दायित्व के साथ-साथ त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण एवं स्वशासित इकाइयों के रूप में विशेष पहचान बनाने के संदर्भ में विस्तृत जानकारी दी गई।
सभी प्रतिनिधियों को संस्थाओं के निधि के स्रोत यथा 15वीं वित्त, षष्टम वित्त इत्यादि द्वारा कार्यों का आवंटन, दायरा एवं प्रखंड और ग्राम पंचायत विकास योजना की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी गई। बताया गया कि विस्तृत चर्चा एवं क्षेत्र की परिस्थिति के विश्लेषण के बाद ग्रामीणों की आवश्यकता के आधार पर ही योजनाओं का चयन करें ताकि विकास योजनाएं पूर्ण समावेशी एवं संरचित हो। सभी जनप्रतिनिधियों को वित्तीय प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने को कहा गया ताकि वित्तीय अनियमितता, योजनाओं के दोहरीकरण इत्यादि को रोका जा सके तथा अंकेक्षण कार्य एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र ससमय समर्पित करने में भविष्य में दिक्कत ना हो।
स्पष्ट है कि अंकेक्षण कार्य पूर्ण नहीं होने पर केंद्र एवं राज्य सरकार से प्राप्त अनुदान की राशि भी प्रभावित होगी। डीपीआरओ ने सभी मुखिया एवं उप मुखिया को पेयजल निश्चय योजना की दीर्घकालीन अनुरक्षण नीति पर विशेष ध्यान देने हेतु सजग रहने को कहा। उन्होंने बताया कि सप्ताह में 1 दिन ग्राम पंचायत में जल चौपाल आयोजित कर लोगों को उपभोक्ता शुल्क वसूली, जलापूर्ति का दुरुपयोग नहीं करने, अनधिकृत मोटर पंप का उपयोग नहीं करने इत्यादि के संदर्भ में ग्रामीणों को जागरूक करें। स्पष्ट है कि ग्राम पंचायत इन सभी मामलों में दंड आरोपित कर सकती है। यदि कहीं वित्तीय अनियमितता या गुणवत्तापूर्ण कार्य नहीं होने का मामला प्रकाश में आता है तो उसे संज्ञान में दें ताकि अग्रेतर कार्रवाई की जा सके।
सभी जनप्रतिनिधि निरंतर क्षेत्र भ्रमण कर योजनाओं के क्रियान्वयन का सतत निरीक्षण एवं अनुश्रवण करें ताकि गुणवत्तापूर्ण कार्य सुनिश्चित किया जा सके। सभी तकनीकी सहायकों को पूर्व में ही निर्देश दिया गया है कि Epicollect ऐप के माध्यम से सभी पूर्ण योजनाओं का भौतिक निरीक्षण करते हुए सुनिश्चित करें कि प्राकल्लन एवं दर्ज मापी पुस्तिका के आलोक में कार्य किया गया है। पंचायत सरकार भवन की क्रियाशीलता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई गई। सभी जनप्रतिनिधि नियमित रूप से पंचायत सरकार भवन में बैठें तथा रोस्टर के अनुसार सभी कर्मियों की उपस्थिति सुनिश्चित करें। लगातार अनुपस्थित रहने वाले कर्मियों के बारे में भी सूचित करें।
जिला पदाधिकारी द्वारा पूर्व में भी इस संदर्भ में पत्र निर्गत किया जा चुका है। साथ ही जहां पंचायत सरकार भवन निर्माण नहीं हुआ है वहां भूमि चयन कर जल्द से जल्द प्रतिवेदन भेजें। डीपीआरओ ने बताया कि पंचायत सरकार भवन की क्रियाशीलता सुनिश्चित किए बिना मिनी कलेक्ट्रेट के रूप में इसकी पहचान नहीं बन पाएगी। निरंतर क्षेत्र भ्रमण एवं पंचायत सरकार भवन की क्रियाशीलता के माध्यम से ही स्वशासित इकाईयों के रूप में त्रिस्तरीय संस्थाओं की प्रशासनिक प्रणाली विकसित होगी। डीपीआरओ ने बताया कि आदर्श ग्राम पंचायत के रूप में अपने क्षेत्र को विकसित करने का निरंतर प्रयास करें जो सभी मानकों यथा स्वच्छता, कचरा प्रबंधन,जल निकासी के बुनियादी ढांचे, पंचायत सरकार भवनों का सौंदर्यीकरण, अन्य संरचनात्मक आवश्यकताओं इत्यादि पर खरा उतरे।
इन सभी कार्यों के लिए 15वें वित्त एवं षष्टम वित्त से प्राप्त निधि में स्पष्ट प्रावधान दिए गए हैं। साथ ही जिला पंचायत संसाधन केंद्र के सभी प्रशिक्षकों को स्पष्ट निर्देश दिया गया कि विभागीय दिशा निर्देश के आलोक में यह सुनिश्चित करें कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में महिला जनप्रतिनिधि स्वयं भाग लें, ना कि अपने किसी मनोनित प्रतिनिधि के माध्यम से। डीपीआरओ ने महिला जन प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि 50 फीसदी आरक्षण ने अगर आपको यह मौका दिया है तो आप अपना अधिकार समझें तथा अपने क्षेत्र से जुड़े फैसलों और काम में धरातल पर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। स्वयं भाग ना लेकर अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से बैठकों में भाग लेना आपत्तिजनक एवं नियम के विरुद्ध है तथा ऐसा मामला संज्ञान में आने पर कारवाई की जाएगी।
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