कानपुर : आठ साल की बच्ची को जब घर की याद आयी तो बस की सीट के नीचे छिपकर दिल्ली से कानपुर पहुंची मासूम

कानपुर

कानपुर/बीपी प्रतिनिधि। एक आठ साल की अकेली बच्ची दिल्ली से कानपुर पहुंची। जब उसे घर की याद आई तो वह आनंद विहार बस स्टेशन पहुंच गई। पैसे नहीं थे तो कानपुर वाली बस में सीट के नीचे छिप गई। बीच रास्ते में यात्रियों ने देखा। कंडक्टर उतारने पर आमादा था। तब एक यात्री ने टिकट के पैसे दे दिए। कानपुर में बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था को सूचना दी। नन्हीं पायल की जिंदगी ने 500 किमी के सीट के नीचे के सफर में जो दहशत झेली, वह उसे बयां भी नहीं कर पा रही है।

बता दे लड़की कल्याणपुर के श्यामनगर की है। पिछले एक साल से आनंद विहार के पास आर्य नगर में बुआ गुड्डन के घर पर थी। मां दो बच्चे साथ लेकर चली गई। पायल पिता के पास छोड़ गई। पिता नशे में डूबा रहने वाला मजदूर है, सो बेटी को बहन के पास भेज दिया। गुरुवार शाम पायल ने बुआ के घर के पास स्टेशन पर बस देखी जो कानपुर जाने को तैयार थी। पापा की याद आई और पायल बस में सीट के नीचे दुबक गई।

रोहित के मुताबिक बच्ची बस में बैठे चार युवकों ने अपने पास बुला लिया। कानपुर में घर पहुंचाने को कहा लेकिन उनके हावभाव ठीक नहीं थे। यह देख रोहित ने बच्ची को अपने पास बैठा लिया। पायल ने बताया कि वह कानपुर में रहती है। पापा-मम्मी हैलट में काम करते हैं। रोहित वानर सेना और दिव्यांग डेवलपमेंट सोसाइटी से जुड़े हैं। उन्होंने फाउंडर मनप्रीत कौर को फोन पर सूचना दी। मनप्रीत ने बच्ची को हिफाजत से कानपुर लाने को कहा। पुलिस को सूचना दी और खुद रात दो बजे बस स्टेशन पहुंच गईं।

मनप्रीत ने अपने भाई और पुलिस के साथ पायल रिसीव किया। पायल अपना घर क्रासिंग के पास बता रही थी। लड़की ने जरीब चौकी से आईआईटी रूट पर कल्याणपुर, पनकी क्रासिंग पर पायल ने गाड़ी रुकवाई। नई शिवली रोड से पहले एक गली में सबको लेकर घर पहुंची। जहां चाचा जितेन्द्र मिले। उसके पिता मुकेश एक निजी अस्पताल में कर्मचारी है। मनप्रीत कौर ने कहा-पिता, दादी, मामा, चाचा कोई भी पायल को देखकर खुश नहीं था। इसे पढ़ाने की जिम्मेदारी अब वह उठाएंगी।