मानसून फिर पड़ा कमजोर, उत्तर बिहार के जिलों में कल से मौसम के शुष्क रहने की सम्भावना, आज हो सकती है हल्की वर्षा

मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर/बिफोर प्रिंट। ग्रामीण कृषि मौसम सेवा बिक्कर राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय ,पूसा एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से दिनांक 3 से 7 अगस्त तक के लिए मध्यावधि मौसम पूर्वानुमान जारी किया गया हे।पूर्वानुमान के अनुसार आज उत्तर बिहार के जिलों में कहीं कहीं हल्की बर्षा की सम्भावना है।उसके बाद 7अगस्त तक मौसम प्रात:शुष्क रहेगा।मौसमीय वैद्यशाला पूसा के आकलन के अनुसार पिछले तीन दिनों का औसत अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान क्रमशः 32.4 एवं 24.1 डिग्री सेल्सियस रहा औसत सापेक्ष आर्द्रता 97 प्रतिशत सुबह में एवं दोपहर में 81 प्रतिशत, हवा की औसत गति 3.0 कि०मी० प्रति घंटा एवं दैनिक वापण 2.5 मि0मी0 तथा सूर्य प्रकाश अवधि औसतन 2.2 घन्टा प्रति दिन रिकार्ड किया गया। 5 से०मी० की गहराई पर भूमि का औसत तापमान सुबह में 29.4 एवं दोपहर में 35.3 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। इस अवधि में 70.1 मि०मी० वर्षा रिकार्ड हुई।

ग्रामीण कृषि मौसम सेवा, डा०आर०पी०सी०ए०यू० पूसा समस्तीपुर एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से जारी 03-07 अगस्त, 2022 तक के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार पूर्वानुमानित अवधि में उत्तर बिहार के जिलों में आसमान में मध्यम बादल छाये रहने का अनुमान है। ३ अगस्त के सुबह तक हल्की से मध्यम वर्षा होने की सम्भावना है तथा उसके बाद के दिनों में मौसम में बदलाव होने के कारण कहीं-कहीं हल्की वर्षा या आमतौर पर मौसम के शुष्क का अनुमान है। इस अवधि में अधिकतम तापमान 32-34 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है जबकि न्यूनतम तापमान 25-27 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रह सकता है।

पूर्वानुमानित अवधि में पूरवा हवा चलने का अनुमान है औसतन 8-10 कि०मी० प्रति घंटा की रफ्तार से हवा चलने की संभावना है। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 80 से 90 प्रतिशत तथा दोपहर में 55 से 65 प्रतिषत रहने की संभावना है। किसानों को सूझाव दिया गया है कि विगत सप्ताह में उत्तर बिहार में वर्षा होने तथा अभी वर्षा होने की संभावना को देखते हुए निचली जमीन में खड़ी फसलों अथवा नर्सरी में अगर वर्षा जमाव हो गया हो तो जल निकासी की व्यवस्था करें। कद्दूवर्गीय सब्जियों को उपर चढ़ाने की व्यवस्था करें ताकि वर्षा से सब्जियों की लत्तर को गलने से बचाया जा सके।

वर्षा जल उपयोगकर कम अवधि की धान की रोपनी अभी भी कर सकते है। इस काम को जल्द से जल्द खत्म करे। खरीफ मक्का की फसल में कीट व्याधियों एवं फफूंदी यों की निगरानी करते रहें। कीट अथवा रोग की उपस्थिती में उपचार हेतु अनुशंसित दवा का छिड़काव करे। मक्का की 30-35 दिनों वाली फसल में बछनी कर 40 किलोग्राम नेत्रजन का व्यवहार करें तथा खड़ी फसलों एवं नर्सरी में कीट व्याधि का निरीक्षण करते रहें। खरीफ प्याज की रोपाई के लिए खेत की तैयारी करें खेत की जुताई में 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद, 60 किलोग्राम नेत्रजन, 80 किलोग्राम स्फुर एवं 80 किलोग्राम पोटाप के साथ 20 किलोग्राम सल्फर का व्यवहार करें प्याज के पौध की रोपाई के लिए खेतों को समतल कर छोटी-छोटी उथली क्यारियों बनायें, जिसकी चौड़ाई 2 मीटर एवं लम्बाई 3 से 5 मीटर तक रख सकते हैं।

प्रत्येक दो क्यारियों के बीच जल निकास हेतु नालियाँ अवष्य बनायें जिन किसान भाई का प्याज का पौध 45-50 दिनों का हो गया हो ये पाक्ति से पंक्ति की दूरी 15 से०मी०, पौध से पौध की दूरी 10 से०मी० पर रोपाई करें पिछात बोयी गई प्याज की पौधषाला में नियमित रूप से कीट एवं रोग-व्याधि की निगरानी करते रहें। स्वस्थ एवं सुडौल पौध के लिए पौधषाला से खरपतवार को निकालते रहें। मिर्च का बीज उथली क्यारियों में गिराये। इसके लिए उन्नत प्रमेद पत मिर्च -3, कृष्णा, अर्का लोहित, पूसा ज्वाला, पूसा सदाबहार, पंजाब लाल, काषी अनमोल तथा संकर किस्में अर्का श्वेता, अर्का मेघना, अर्का हरिता, काषी सूर्य, काशी अगेती, काशी तेज अनुषंसित है बीज को गिराने से पूर्व थीरम 75 प्रतिशत दवा से बीजोपचार करें। केला की रोपाई करें। उत्तर बिहार में लम्बी किस्मों के लिए अलपान, चम्पा कंथाली, मालभोग, चिनियाँ, शक्कर चिनियाँ, फिआ 23 तथा बौनी एवं खाने वाली किस्मों के लिए पैडनेन, रोबस्टा बसराई, फिजा 1 अनुषंसित है सब्जी वाली किस्में बतीसा, सावा, बनकेल, कचकेल, फिआ तथा सब्जी एवं फल दोनों में उपयोग आने वाली किस्में कोतियों, मुतियों, दुधसागर एवं चकिया अनुषंसित है लम्बी जातियों में पौधा से पौधा की दुरी 2.0 मीटर है एवं बौनी जातियों में 1.5 मीटर रखें।

फलदार एवं वानिकी पौधों को लगाने का यह समय अनुकुल चल रहा है। किसान भाई अपने पसंद के अनुसार अलग-अलग समय में पकने वाली आम की किस्मों का चयन कर सकते हैं। मई के अन्त से जुन माह में पकने वाली किस्मे मिठुआ, गुलाबखास, बम्बई, एलफोन्जो, जहदाल जून माह में पकने वाली किस्में लंगड़ा (मालदह ). हेमसागर, कृष्णभोग, अमन दुपहरी, जुलाई माह में पकने वाली किस्में फजली, सुकुल, सिपिया, तैमूरिया, अगस्त में पकने वाली किस्में सगरवहित, चौसा, कतिकी है।

आम के संकर किस्मों के लिए महमूद बहार, प्रभाषकर अम्रपाली, मल्लिका, मंजीरा, मेनिका, सुन्दर लंगडा राजेंद्र आम-1 रत्ना, सबरी, जवाहर, सिंधु, अर्का, अरुण, मेनका, अलफजली, पूसा अरुणिमा आदि अनुषंसित है कलमी आम के लिए पौधा से पौधा की दूरी 10 मीटर बीजु के लिए 12 मीटर रखें आम्रपाली किस्म की सघन बागवानी हेतु पौधों को 2.5X 2.5 मीटर की दूरी पर लगा सकते हैं। पिछले माह बोयी गई साग-सब्जियों की निकाई-गुराई करें सब्जियों की नर्सरी में लाही, सफेद मक्खी व चूसक कीटों की निगरानी करें ये कीट विषाणु जनित रोग फैलाते है। इन कीट का प्रकोप दिखाई देने पर बचाव के लिए इमिडाक्लोरोप्रिड दवा का 0.3 मी.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल कर आसमान साफ रहने पर ही छिड़काव करें।