लोक अदालत की अवधारणा आदि काल से ही है : राजीव द्विवेदी
मोतिहारी/ दिनेश कुमार। राष्ट्रीय लोक अदालत एक ऐसा मंच है, जहां सर्वजन सुखाए, बहुजन हिताय की अवधारणा को प्रतिपादित करता है। उक्त बातें लोक अदालत सभागार में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत समारोह का उद्घाटन करते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष सह जिला एवं सत्र न्यायाधीश परशुराम सिंह यादव ने कहीं। वे बोले कि गुस्से को अपने काबू में नहीं रहने के कारण व विशेष परिस्थिति में मुकदमा हो जाता है। बाद में दोनों पक्षों को पछतावा होने लगता है।
राष्ट्रीय लोक अदालत इसी अवधारणा को पूरा करने के लिए पक्षकारों के बीच आपसी सहमति से मामले को निपटारा करता है। वहीं बिहार स्टेट बार कौंसिल के को चेयरमैन राजीव कुमार द्विवेदी ने कहा कि लोक अदालत की अवधारणा आदि काल से ही है। आज के परिवेश में लोक अदालत की महत्ता अधिक हो गई है। ज़िला विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष कामाख्या नारायण सिंह ने कहा कि लोक अदालत की महत्ता तब और अधिक बढ़ जाती जब सुलहनीय वादों से ईतर अन्य सामान्य प्रकृति के वादों को भी समझौता के आधार पर समाप्त किया जाता।
मंच का संचालन न्यायिक पदाधिकारी रविरंजन व धन्यवाद ज्ञापन प्राधिकार के सचिव सह अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश अजय कुमार मल्ल ने किया। मौके पर न्यायिक पदाधिकारी अवधेश कुमार, आशीष कुमार मणी, सूर्यकांत तिवारी, लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, मनीष कुमार उपाध्याय, अजेंद्र कुमार, अरविंद कुमार, राजन कुमार, पूजा कुमारी, सुधा कुमारी, ज़िला विधिज्ञ संघ के संयुक्त सचिव रविरंजन सिन्हा, विशेष लोक अभियोजक अनिल कुमार सिंह, मो. सहाबुद्दीन , सत्यनारायण गिरी आदि अधिवक्ता , पैनल अधिवक्ता दिनेश्वर प्रसाद, मनोज तिवारी,राजेश कुमार, रविनंदन शर्मा आदि अधिवक्ता उपस्थित थे।
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