खेल विभाग से आवन्टित घर पर फर्जी एमओयू दिखाकर जमाए है दशक से कब्जा
कानपुर/भूपेंद्र सिंह। खेल विभाग में इलेक्ट्रिीशियन पद पर रहे पूर्व कर्मचारी ने अपने विभाग के आला अधिकारी और उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के कुछ पदाधिकारियों के साथ मिलकर एमओयू में हेर-फेर दिखाकर विभाग से आवन्टित घर पर रिटायरमेन्ट के बाद भी कब्जा कर रखा है। वह सभी को फर्जी एमओयू दिखाकर अपने घर को यूपीसीए से आवन्टित करने की बात दोहराता है। सरकारी विभाग से रिटायरमेन्ट के बाद से उसे यह घर छोड देना चाहिए लेकिन वह बीते 5 साल से भी अधिक समय के बाद भी वह सरकारी सम्पत्ति का उपयोग करने से बाज नही आ रहा।
एक बात तो साफ है कि यूपीसीए ने भी उसको ग्रीनपार्क में रहने के लिए लिखित कोई कागज नही दिया है। जबकि आरटीआई से मिली जानकारी के बाद ये साफ हो गया है कि सरकार और यूपीसीए के बीच हुए एमओयू समझौते में किसी को भी रहने की इजाजत ही नही अंकित है। ग्रीनपार्क में रहकर अपने को मुखिया समझने वाला शख्स वर्तमान में यूपीसीए में कार्यरत है और कमला क्लब में उसकी तैनाती है। वह वर्तमान समय में तैनात क्यूरेटर को वहां पर रुकने के लिए कमरे के आवन्टित करवाने में भी रोडा डालने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यही नही वह ग्रीनपार्क में तैनात क्यूेरेटर को किसी अधिकारी के सामने आने का मौका ही नही देता फिर चाहे किसी मन्त्री का दौरा हो या फिर किसी सरकारी अधिकारी का ही।
पूर्व विकेट निर्माणकर्ता को ग्रीनपार्क से इतना मोह है कि बीते छह महीने के बाद भी वह दूसरे को रोकने के लिए अभी भी यूपीसीए व खेल विभाग से मिले घर को छोड नही सका है। वह अभी भी यूपीसीए से मिली विकेट निर्माणकर्ता की टी-शर्ट को पहन ग्रीनपार्क में इधर उधर घूमते नजर आते रहता है। इस मामले में नगर के खेल इकाई की अधिकारी भी उसका इस कृत्य में भरपूर सहयोग कर रही है। ग्रीनपार्क में मौजूद यूपीसीए के क्यूरेटर के कार्य में कमी निकालने के लिए वह अपने पूर्व सहयोगियों का साथ लेने से भी गुरेज नही कर रहा है।
यूपीसीए के कई अवैतनिक पद पर तैनात कर्मचारी व अधिकारी विकेट निर्माणकर्ता की ग्रीनपार्क वापसी के लिए सहारनपुर एक्सप्रेस में भी सीट बुक करवाने की लाख कोशिश मे लगे हुए हैं। गौरतलब है कि ग्रीनपार्क में स्थित खेल विभाग में तैनात कर्मचारी शिवकुमार यादव साल 2004 से विकेट निर्माण का कार्य देख रहा था। निवर्तमान सचिव स्वर्गीय ज्योति बाजपेयी के वरदहस्त से उसे यूपीसीए में भी कार्य मिल गया था। साल 2005 में सत्ता परिवर्तन के बाद उसने सत्ता प्रमुख के खेमे में सम्मिलित होकर ग्रीनपार्क का मानो पूरा ठेका ही ले लिया हो।
वह कार्य तो खेल विभाग में कर रहा था लेकिन वह यूपीसीए से मिलने वाली पूरी सुविधाओं का लाभ भी उठाने में कोई कसर नही छोड रहा था। बीते साल के आखिरी सप्ताह में उसका स्थानान्तरण यूपीसीए के एक और मैदान कमला क्लब में हो गया था। तब से ही वह ग्रीनपार्क वापसी के लिए सभी प्रकार के जतन कर चुका है ये बात अलग है कि वह अभी तक सफल नही हो सका है। ग्रीनपार्क के सरकारी आवास पर कब्जा कर रह रहा शिवकुमार एमओयू में फर्जी तरह से हेर-फेर करके सभी को भ्रमित करने का भी काम कर रहा है। अब आरटीआई से हुए इस खुलासे के बाद से यह देखना होगा कि खेल विभाग कितनी जल्द उससे घर खाली करवाने में सफलता पा सकता है।
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