Kanpur, Bhupendra Singh । उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ और लखनऊ के निजी इकाना स्पोटर्स स्टेडियम के बीच अनुबन्ध फायदे का सौदा दिखायी दे रहा है तो वहीं प्रदेश सरकार के बीच ग्रीनपार्क को लेकर 30 साल का अनुबन्ध सरकार को राजस्व का नुकसान करते दिखायी दे रहा है। जहां यूपीसीए ग्रीनपार्क को केवल टेस्ट सेन्टर का दर्जा दिलाने में अपना महत्वपूर्ण रोल अदा कर रहा है तो वहीं इकाना स्टेडियम से उसको आर्थिक मदद के साथ ही अन्य संसाधन सुविधाओं को प्रयोग करने के लिए लगातार मिलता दिखायी दे रहा है। यूपीसीए की ओर से सरकार के राजस्व को भी चूना लगाया जा रहा है। ऐसा नही है कि यूपीसीए ने ग्रीन पार्क स्टेडियम में सरकार के साथ 2015 में की गई लीज के बाद अन्तर्राष्ट्रीय मैचों का आयोजन नही किया लेकिन उसने निजी इकाना स्टेयडियम पर मेहरबानी करते हुए अफगानिस्ता्न जैसी टीमों के लिए उसका होम ग्राउण्ड भी नियुक्त कर दिया।
उसके लिए अफगानिस्ताहन जैसे मुल्की से खासी कमायी भी प्राप्तत हुयी जिसका अधिकांश हिस्सा स्पो टर्स स्टेडियम के मालिक के खाते में गया और सरकार को केवल कमीशन से काम चलाना पडा। अन्तर्राष्ट्रीय मैचों के लिए अब यूपीसीए की पहली प्राथमिकता केवल इकाना स्टेडियम ही बनता जा रहा है। यूपीसीए ने सरकार के साथ नाइंसाफी करते हुए होने वाले इकाना स्टेडियम पर लगभग 10 इंटरनेशनल मैचों का आयोजन कर चुका है तो वहीं ग्रीनपार्क में 2017 के बाद से केवल टेस्ट मैच ही आयोजित करवाने में सफलता प्राप्त की है।
ये अलग बात है कि ग्रीनपार्क के लिए यूपीसीए सरकार को एक करोड रुपए वार्षिक किराए के रूप में अदा करता आ रहा है लेकिन वह यहा पर मैच आयोजित कराने के लिए संजीदा नही दिखायी देता। ग्रीनपार्क में अन्तर्राष्ट्रीय मैचों के आयोजन न किए जाने से अब तक सरकार को लगभग 15 से 20 करोड़ के होने वाले राजस्व की हानि का अनुमान लगाया जा चुका है। माना जा रहा है कि यूपीसीए के आकाओं ने अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए ऐसे नियमों का अनुसरण किया जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
क्रिकेटरों के जानकारों के मुताबिक ग्रीनपार्क को लीज पर लेने के लिए केवल भारतीय क्रिकेट कन्ट्रोल बोर्ड का ही दबाव दिखता है क्योंकि उससे जुडे प्रत्येक संघ को कम से कम दो और अधिकतम 5 सेन्टर कागजों पर दिखाना अनिवार्य है। ऐसा न होने की दशा में किसी भी प्रदेश संघ को बोर्ड की ओर से मैच ही आविन्ट्त नही किया जा सकेगा। इस मामले की शिकायत भी कुछ क्रिकेट प्रशसकों ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर दर्ज करा दी है। इस मामले में यूपीसीए के सचिव ने बोलने से मना कर दिया है।