प्रशिक्षण के दौरान प्रभारी वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान आर के जलज, उद्यान वैज्ञानिक डॉ. रतन कुमार, मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर रामाकांत सिंह, हरेंद्र कुमार, प्रवीण कुमार इत्यादि उपस्थित थे
Sasaram, Arvind Kumar Singh : बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर, अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम पराली प्रबंधन विषय पर संपन्न किया गया। यह प्रशिक्षण आत्मा बक्सर द्वारा प्रायोजित था। इस प्रशिक्षण में बक्सर जिले के 33 किसान एवं दो ग्रुप लीडर सम्मिलित थे।
तीन दिवसीय दिनांक 30 अगस्त से 1 सितंबर तक के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान किसानों को फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। फसल अवशेष के जलने के कारण भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड गैस वायुमंडल में समाहित हो जाती है। खेत की उत्पादकता घट जाती है एवं सजीव जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।
मिट्टी जांच के माध्यम से यह पाया गया है की प्रतिवर्ष जलाए जाने वाले खेतों में पोटाश एवं फास्फोरस की भारी कमी है। कृषकों को कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास के द्वारा राइस बेलर मशीन, बायोचार उत्पादन इकाई, हैप्पी सीडर मशीन, जीरो टिलेज मशीन इत्यादि के माध्यम से फसल अवशेषों के प्रबंधन हेतु प्रायोगिक जानकारी भी दी गई।
फसल अवशेषों के उपयोग से किसानों ने मशरूम के उत्पादन की भी जानकारी ली। मशरूम बैग उनके द्वारा तैयार किए गए। इन फसल अवशेषों से वर्मी कंपोस्ट कैसे तैयार किए जाएं यह विधि भी विस्तार पूर्वक बताई गई।
प्रशिक्षण के दौरान प्रभारी वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान आर के जलज, उद्यान वैज्ञानिक डॉ. रतन कुमार, मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर रामाकांत सिंह, हरेंद्र कुमार, प्रवीण कुमार इत्यादि उपस्थित थे। प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसान अभय कुमार, सुनील यादव, निर्मल पासवान, विजेंदर चौधरी, कृष्ण सिंह, हरिहर बिंद, अजीत कुमार, वीरेंद्र सिंह, ऋषि कुमार, अंकित पांडे इत्यादि सहित कुल 33 कृषकों ने भाग लिया।