बिहार कृषि विश्वविद्यालय में दो दिवसीय प्रसार शिक्षा परिषद की आयोजित बैठक में कई जाने मानें कृषि शिक्षाविद् हुए शामिल।
Buxar, Vikrant : बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में दो दिवसीय 23 वीं प्रसार शिक्षा परिषद(रबि-2022) की महत्वपूर्ण बैठक शुरू हुई। कार्यक्रम का उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि सूबे के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के आलावे उत्तर प्रदेश (बांदा) कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा.नरेन्द्र प्रताप सिंह, झारखंड के कुलपति डा.ओंकार नाथ सिंह, बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा.अरूण कुमार एवं प्रसार शिक्षा निदेशक डा.आर.के.सोहाने नें संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया।
पहली बार कृषि विश्वविद्यालय प्रसार शिक्षा की बैठक में भाग लेने पंहुचे सूबे के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने अपने सारगर्भित उद्बोधन के दरम्यान कहा कि खेत व किसानों के विकास की दिशा में राज्य के कृषि बाजार से लेकर बीज तक को बदलने की जरूरत है। कृषि मंत्री श्री सिंह ने कहा कि वैज्ञानिकों के खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर शोध कार्य को जरूर लागू किया जाएगा। सूबे के वैज्ञानिक अपना शोध कार्य करे, उनके शोध कार्य में कोई व्यवधान नहीं आने दिया जाएगा। आगे उन्होनें कहा कि राज्य में कृषि क्षेत्र में विकास को लेकर पहला, दुसरा तीसरा व जल्द ही चैथा रोड मैप आने वाला है। रोड मैप में किसानों के बेहतरी व उनके हीत का बिशेष ख्याल रखा जाएगा।
इस नए रोड मैप को तैयार कर धरातल पर उतारे जाने की दिशा में एक दर्जन विभाग जुटा हुआ है। लेकिन इसमें कृषि विभाग का कार्य असंतोष जनक पाए जाने की भी समीक्षा की जाएगी। इसके पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने विश्वविद्यालय परिसर में बने परीक्षा भवन एवं टाइप-3 आवासीय भवन का लोकार्पण किया। साथ ही मंचासीन आगत अतिथियों संग कृषि मंत्री द्वारा किसानों के बीच एसडी कार्ड का वितरण के आलावे मुंगेर व अरवल कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा प्रकाशित कृषक समाचार पत्रिका एवं मधेपुरा कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा प्रकाशित डैरेगन फ्रूट खेती पुस्तक का भी विमोचन किया गया।
उत्तर प्रदेश बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा.नरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि देश का पूर्वी राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश एवं झारखंड कृषि क्षेत्र में नई चुनौतियों से जूझ रहा है। धान के मौसम में कम बारिस हो रहा है। कुलपति डा.सिंह ने कहा कि देश में कुल 735 महत्वपूर्ण है। उन्होनें कहा कि आज की तारीख में पारपंरिक खेती से किसानों की आय बढ़ना कठिन है। उन्होनें वैज्ञानिको से अपने अपने क्षेत्र में जैव विविधताओं को ध्यान में रखते हुए किसानों की आय बढ़ाने व समेकित कृषि प्रणाली को अपनाएं जाने की अपील की।
झारखंड के कुलपति डा.ओंकार नाथ सिंह ने वैज्ञानिको से अपील करते हुए सदियों से खेती करते आ रहे उनके किश्मों व गुण को जिंदा रखते हुए उसके उत्पादन बढ़ाने की दिशा में शोध करने पर जोर दिया। झारखंड कृषि विवि के कुलपति ने वैज्ञानिको के बीच किसानों की उनकी वैरायटी का उनके नाम से निबंधन कराए जाने पर जोर दिया और कहा कि इस कार्य का नतीजा पीढ़ी दर पीढ़ी किसानों को सीधे लाभ मिलते रहेगा। अपने अध्यक्षीय संबोधन में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा.अरूण कुमार ने कहा कि कृषि मंत्री के दिशा-निर्देश व विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत करने पंहुचें विद्वान कुलपतियों के अनुभव का लाभ उठाकर बिहार प्रांत में कृषि विकास की नई उंचाई प्रदान करने की दिशा में संकल्पित हूं। कुलपति डा.अरूण कुमार सिंह ने कहा कि बीएयू के वैज्ञानिकों ने धान कई नई किश्मों को विकसित करने का काम किया है। जो इस सूबे के किसानों के लिए एक बड़ी सौगात है। धान की नई विकसित प्रभेद बाढ़ एवं सुखाड़ दोनों ही परिस्थितियों मे सहनशील साबित हो चुका है। उन्होनें कहा कि विश्वविद्यालय आगामी साल मिलेट साल के रूप में मनाए जानें की तैयारियों में जुटा हुआ है। विश्वविद्यालय स्तर पर एक्शन प्लान का कार्य जारी है।
कृषि विज्ञान केन्द्र मौके पर प्रसार शिक्षा के निदेशक डा.सोहाने ने कहा कि किसानों के खेतों में डेमोसटरेशन व उन्हें प्रशिक्षण देने के आलावे आइटीसी मास मिडिया के माध्यम से किसानों के बीच वैज्ञानिकों द्वारा विकसित तकनिकी को पंहुचाने का काम जारी है। उन्होनें कहा कि सूबे के प्रशिक्षित किसान विविध क्षेत्रों के आलावे मधुमक्खी व मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में बेहतर काम कर रहे है। विवि के शोध-निदेशक डा.पी.के.सिंह ने कहा कि उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के लिए किसानों के बीच विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विेकसित नई तकनिकी एवं प्रभेदों का उपलब्ध कराए जाने का कार्य शुरू है। परिणाम बेहतर मिल रहा है। उन्होनें कहा कि सबौर के अलसी वन को 1 दर्जन प्रदेशो के लिए अनुशंसित किया गया है। सबौर चना वन व परवल वन किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। कम सिंचाई वाले क्षेत्र में किसान सबौर चना-2 की बुवाई दिसम्बर के अतिंम माह तक कर सकते है।
बैठक को अन्य वक्ताओं में प्रगतिशील किसान के रूप में वंदना कुमारी, प्रसन्नजीत कुमार एवं धर्मेन्द्र उपाध्याय ने संबोधित कर अपने कृषि अनुभव को साझा किया। जब कि रोहतास केवीके डा.आर.के.जलद एवं औरंगाबाद के डा.नित्यानंद ने संबोधित करते हुए अपने अपने केन्द्र की प्रगति प्रतिवेदन की जानकारी प्रदान की गई। इसके पहले आगत अतिथियों में कृषि मंत्री सहित कुलपतियों व अन्य प्रगतिशील किसानों का स्वागत कुलपति डा.अरूण कुमार, प्रसार शिक्षा निदेशक डा.आर.के.सोहाने एवं शोध निदेशक डा.पी.के.सिंह ने किया। विवि की 23 वीं प्रसार शिक्षा परिषद की बैठक में विश्वविद्यालय के पीआरओ डा.रमेश कुमार शर्मा, सभी कृषि कालेज के प्राचार्य, कृषि विज्ञान केन्द्रों के मुख्य वैज्ञानिक,विवि के डीन निदेशक एवं सभी विभागाध्यक्ष शामिल थे।