Purnia, Rajesh Kumar Jha : नगर निगम चुनाव का बिगुल बजते के साथ ही शहर में धनबलियों का जन्म होने लगा. एक से बढ़कर एक धनबली बड़ी-बड़ी और महंगी गाड़ियों ने सैकड़ों समर्थकों के साथ गली-गली मोहल्ले-मोहल्ले पसीना बहाते नजर मिल जाएंगे. आपको ऐसे-ऐसे धनबली मिलेंगे शहरों के वार्डो में घूमते नजर आएंगे, जिनके पास कभी भी आम जनता के बारे में सोचने तक का वक्त नहीं होता है. जिनसे कभी समाज के लोग किसी काम के सिलसिले में मिलने भी गए तो दो घण्टे इंतजार के बाद लोगों को उनका दर्शन मिलता था.
आज वही धनबली अपने फायदे के लिये वोटरों को रिझाने में वोटरों के घर-घर जाकर पूरा पसीना बहा रहे है.लेकिन वोटर है कि उन्हें पहचानते ही नहीं. बताते चलें की नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में शहर के कई धनबलियों का जन्म हो चुका है. जो ये समझते है कि राजनीति में पैसा ही सबसे बड़ी ताकत है.
हम पैसा से मेयर, उपमेयर, विधायक और सांसद कुछ भी बन सकते है. ये धनबली ये समझते है कि पैसा है तो वोट है. ऐसे धनबलियों को जनता बहुत अच्छा जबाब देती है.इसलिये कहते है “बाबू ये पब्लिक है पब्लिक,जो सब जानती है”.