Kanpur : Raju Srivastava के निधन से नयापुरवा के लोग हुए गमगीन, बोले- मोहल्ले का उजाला…

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Kanpur, Beforeprint : मशहूर कॉमेडियन Raju Srivastava को 43 दिन पहले जिम में वर्कआउट करते समय हार्ट अटैक आया था। तब किदवईनगर नयापुरवा स्थित उनके पैतृक आवास के आस-पड़ोस में रहने वालों के लिए यह बुरी खबर थी। सब उनके ठीक होने की प्रार्थना कर रहे थे। कल जब उनके निधन की सूचना आई तो हर आंख नम हो गई। घर पर राजू के भाई काजू, उनकी पत्नी, बेटा रजत और बेटी तनु थे जो भावभीन होकर राजू को याद कर रहे थे। बाहर गम के बीच सैकड़ों की संख्या में राजू के चाहने वाले खड़े थे। सभी की जुबां से बस यही शब्द निकला कि चला गया मोहल्ले का उजाला…

राजू के घर घरेलू काम करने वाली पड़ोसी गीता देवी बताती हैं कि 10 साल से ज्यादा समय तक काम किया। कभी ऐसा लगा ही नहीं कि वो बहुत बड़े आदमी हैं। वह जब घर आते तो मुंबई की कहानियां सुनाते..बच्चे भी उनसे घर मिलने जाते तो उन्हें मिठाई और कपड़े के साथ रुपये देते थे। एक बार राजू घर आए। उनसे बताया कि इलाज के लखनऊ में भर्ती होना था लेकिन सिफारिश न होने के चलते नहीं हो सकी। इस पर राजू ने अपना नंबर दिया और कहा कभी भी जरूरत हो तुरंत फोन मिलाओ।

पड़ोसी वीना देवी ने बताया कि इकलौती बहन सुधा की शादी में राजू की उम्र ज्यादा नहीं थी लेकिन उन्होंने शादी में खूब कॉमेडी की। बलई काका कवि थे, उनके जानने वाले भी शादी में आए थे। बस यहीं से राजू की कॉमेडी शहर में मशहूर होने के बाद देशभर में छा गई। राजू के घर के पीछे रहने वाले बुजुर्ग और स्कूल के प्रबंधक योगेंद्र पाल ने बताया कि राजू भइया को 2014 में जब सपा से टिकट मिला तो सभी ने सिर पर लाल टोपी रख ली, जबकि यहां पर सपा को वोट नहीं दिया जाता था। हालांकि बाद में उन्होंने टिकट लौटाकर भाजपा का साथ देने का फैसला किया तब भी इलाके के लोगों ने उनका समर्थन किया।

25 दिसंबर 1963 को जन्मे राजू श्रीवास्तव की शादी एक जुलाई 1993 को लखनऊ की शिखा के साथ हुई। योगेंद्र पाल बताते हैं कि शादी में एक दर्जन से अधिक बसें लखनऊ पहुंच गईं। पर्दे पर कॉमेडी करने वाले राजू असल जिंदगी में मजाकिया थे। उन्होंने पूरी बस्ती में कह दिया था कि परिवार सहित चलना है। इसके बाद पूरी बस्ती के लोग तैयार हो गए। खुद उनके परिवार से 14 लोग बारात में गए थे। लोगों को पंहुचाने के लिए दर्जनों बसें लगी थीं।

राजू को परिवार और घर से बेहद लगाव था। भले ही उन्होंने मुंबई और दिल्ली में घर बना लिया हो लेकिन कानपुर को कभी नहीं भूले। छह भाइयों और बहन से भी भरपूर स्नेह था। राजू सभी के लिए खड़े रहे। पड़ोस में रहने वाली बुजुर्ग सुशीला ने बताया कि एक समय ऐसा आया कि आर्थिक तंगी के चलते राजू के पिता ने अपना पुश्तैनी मकान बेच दिया था। पूरा परिवार घर से कुछ दूरी पर रहने लगा लेकिन राजू को अपने घर से बहुत लगाव था उन्होंने दस गुना कीमत देकर इसे दोबारा खरीदा। इसके अलावा वे हमेशा अपने परिवार के लिए खड़े रहे। भाई काजू की गांठ का ऑपरेशन कराने के लिए एम्स ले गए थे।