Kanpur, Piyush Tripathi : फिल्मों, टीवी किस्से कहानियों में शादियों को लेकर तमाम तरह के प्रहसन चले आ रहे हैं जिससे दर्शको को आकर्षित किया जाता है। मगर कानपुर के करौली पिपरगवां निवासी शुभम सिंह की जिंदगी में रागिनी नाम की एक युवती ऐसा किरदार बनकर आयी जो न फिल्मों की बनी स्क्रिप्ट है न किसी लेखक की लिखी हुई काल्पनिक कहानी।
इसी माह की सत्तरह सितम्बर को शुभम सिंह बाइक से जा रहा था तभी वह हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ गया, बुरी तरह जख्मी हो गया, अस्पताल में भर्ती किया गया जहां जान बचाने के लिये उसका एक पैर काटना पड़ा। दूसरा पैर भी क्षतिग्रस्त पेट हाथ में भी गहरे जख्म जिंदगी तो बच गई लेकिन बदहाल नजर आने लगी। पहाड़ सा जीवन कैसे कटेगा स्वजनों परिजनों के माथे पर चिंता की लकीरें गहरा गईं। लुंज पुंज ही सही बेटा बच गया इस बात की खुशी भी थी मगर इसी बीच अस्पताल में उसे देखने रागिनी आयी। यहां बता दें कि शुभम की शादी राजेपुर थाना साढ़ कानपुर नगर निवासी रागिनी के साथ तय हो चुकी थी और बीते अप्रैल माह में वरीक्षा व गोद भराई का कार्यक्रम सम्पन्न हो चुका था आगामी आठ दिसम्बर को शादी होनी थी।
शादी तय होने के पहले रागिनी और शुभम एक दूसरे को जानते भी नहीं थे इश्क प्यार मोहब्बत तो दूर की बात है। रागिनी ने शुभम की हालत देखी और उसने मानव संवेदना की चरम सीमा के पार जाकर वहीं तय कर लिया की शादी शुभम से ही करेगी उसका यह फैसला सुनते ही दोनों परिवारों में भूचाल आ गया रागिनी के माता पिता व परिजन किसी हालत में जिंदगी मौत के बीच झूल रहे शुभम के साथ शादी करने को राजी नहीं थे। शुभम के परिजन भी नहीं चाहते थे कि कोई लडक़ी अपना जीवन ऐसे जीवन साथी के साथ दांव पर लगा दे जो अपंग हो चुका है मगर रागिनी के अंदर इंसानियत कर्तव्य और पारंपरिक गुणों की ऐसी मशाल जली की उसने बस यही जवाब दिया कि अगर ये दुर्घटना शादी सम्पन्न होने के बाद होती तब क्या करते।
इस बात का किसी के पास कोई जवाब नहीं था। परिजनों और समाज के विरोध के बावजूद 26 सितम्बर को वह शुभम के साथ सात फेरे लेकर उसकी जीवन संगिनी बन गई। ये घटना आज के अतिभौतिकवादी युग में क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है और रागिनी के फैसले की मिसाल दी जाने लगी है करौली निवासी अनिल भदौरिया पिंटू बताते हैं कि अभी भी लोग कहते हैं कि रागिनी ने एक अपाहिज से शादी करके अपनी जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया है लेकिन रागिनी है कि उसने सारी धारणाओं को चुनौती दे दी है और स्वार्थ में डूबी युवा पीढ़ी को एक सबक भी।
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