Kanpur, Bhupendra Singh : बीसीसीआई के इस बार होने वाले चुनाव के लिए उत्तेर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से प्रतिनिधि भेजने की कवायद बीती 20 सितम्बर तक जारी रही। हालांकि संघ ने इस कवायद को गोपनीय तरीके से अंजाम तक पहुंचाने का काम किया। एपेक्स कमेटी के सदस्यों की बैठक में किसी को कानों- कान खबर ही नही लगी कि बैठक का मुख्य उददेश्य क्या रहा। कमेटी के सदस्यों को पुराने एजेंडे के तहत ही बैठक की जानकारी दी गई थी।
गौरतलब है कि पिछली बार के चुनाव में यूपीसीए शिरकत नहीं कर सका था जिससे उसकी क्रिकेट जगत में काफी किरकिरी हुई थी। इस बार प्रदेश संघ ने तय कर लिया था कि बीसीसीआई की चुनाव में वोट देने का अधिकार नहीं खोएगा। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ ने सोची-समझी रणनीति के तहत वार्षिक आमसभा से पहले ही एपैक्स कमेटी की बैठक आयोजित कर चुनावी रणनीति तैयार की लेकिन वह भी बहुत शातिरना अंदाज में।
बीसीसीआई के चुनाव में पूरे देश भर के प्रदेश क्रिकेट संघ के प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं। पिछली बार दिसंबर में उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ बीसीसीआई के क्लब मैं शामिल होने से वंचित रह गया था। आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के पूर्व सचिव जो वर्तमान में बीसीसीआई के उपाध्यक्ष हैं और उनके पास मतदान का अधिकार भी है वह पूर्णरूपेण सदस्य हैं और वह अपना वोट किसी के भी पक्ष में डाल सकते हैं।
यूपी की ओर से प्रतिनिधि के रूप में अध्यक्ष व सचिव के साथ कोई और भी व्यक्ति मतदान प्रक्रिया में शामिल होने के लिए प्रतिनिधि के रूप में भेजा जा सकता है।बीती 20 सितम्बर को लखनऊ में आयोजित एपेक्स कमेटी की बैठक में पहुंचे किसी भी सदस्य को बीसीसीआई के लिए प्रतिनिधि चुने जाने की भनक भी नही लगी। यूपीसीए के सूत्रों के मुताबिक इस बार पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह को प्रदेश संघ का प्रतिनिधि बनाकर भेजा सकता है जबकि वर्तमान अध्यक्ष निधिपति सिंहानियां और सचिव प्रदीप गुप्ता इसके असली हकदार हैं।